सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की जहरीली हवा का असली विलेन ट्रैफिक और स्थानीय कारक है, पराली का धुआं नहीं. इस बार दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के धुएं का योगदान 5% से भी कम रहा, फिर भी अक्टूबर और नवंबर में ज्यादातर दिन AQI लगातार ‘बेहद खराब’ और ‘गंभीर’ में बना रहा.
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