पूर्णिया GMCH की बदहाल व्यवस्था और बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से मांग की है कि GMCH की भयावह स्थिति को देखते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया जाए। पप्पू यादव ने इस मुद्दे को लोकसभा में नियम 377 के तहत भी उठाया था और कहा था कि अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। सांसद ने अपने पत्र में कहा कि पूर्वोत्तर सीमांचल पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज से लेकर नेपाल सीमा तक पूरे क्षेत्र के करोड़ों लोगों के इलाज का मुख्य सहारा GMCH इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है। प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीजों की निर्भरता वाले इस अस्पताल की बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं लगातार ढहती जा रही हैं। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में 200 डॉक्टरों की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 40 डॉक्टरों के भरोसे पूरा संचालन चल रहा है। यही नहीं, यहां स्वीकृत 500 बेड में से मात्र 300 बेड ही उपयोग में आ रहे हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और कई मामलों में इलाज में देरी जानलेवा साबित हो रही है। स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए संकट पप्पू यादव ने आगे कहा कि अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन ICU, मॉड्यूलर OT, SNCU/PICU, स्पेशियलिटी वार्ड और ट्रॉमा यूनिट का निर्माण फंड की कमी के कारण वर्षों से अधर में लटका हुआ है। इस वजह से आपातकालीन और जीवनरक्षक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सांसद के अनुसार, निर्माण कार्य में वर्षों की देरी का सीधा असर मरीजों के उपचार पर पड़ रहा है और यह पूरे क्षेत्र की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बड़ा संकट बन चुका है। स्थिति अब इतनी अमानवीय हो गई है कि निर्माण कार्य संभाल रही NCC कंपनी ने अस्पताल की लिफ्ट पर ताला लगा दिया है। कई वार्ड और कमरे बंद कर दिए हैं। इससे स्ट्रेचर और व्हीलचेयर मूवमेंट पूरी तरह ठप पड़ गया है और मरीजों को जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है। यह न सिर्फ जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ है, बल्कि अस्पताल परिसर पर अनुचित कब्जा, आपात सेवाओं में बाधा और जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कंपनी और सरकार के बीच फंड विवाद है तो किस अधिकार से एक निजी कंपनी को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं रोकने की अनुमति दी जा रही है। अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की कि GMCH की लगातार बिगड़ती हालत को देखते हुए तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों और अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जाए। रुके हुए निर्माण कार्य के लिए आवश्यक फंड का तत्काल निर्गमन सुनिश्चित किया जाए और NCC कंपनी को निर्देश दिया जाए कि वह तुरंत सभी लिफ्ट, वार्ड और कमरे खुलवाए। कंपनी की भूमिका की जांच कर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की है, ताकि भविष्य में किसी निजी एजेंसी द्वारा अस्पताल संचालन में बाधा न पैदा की जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फंड विवाद का प्रशासनिक समाधान जल्द किया जाए ताकि किसी भी मरीज की जान जोखिम में न पड़े। अंत में सांसद पप्पू यादव ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार ने तुरंत कार्रवाई नहीं की तो GMCH पूर्णिया में इलाज के लिए आने वाले हजारों मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए तत्काल कदम उठाए जाएं, ताकि GMCH को फिर से एक पूर्ण रूप से सक्रिय और सक्षम मेडिकल संस्थान के रूप में स्थापित किया जा सके।
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