‘वो रोजाना मेरे साथ मारपीट करता था। घर में शराब पीकर हंगामा करता था। बेटी-दामाद के सामने ही मुझे पीटता था, जलील करता था। दामाद और बेटी के अलावा छोटी बेटी भी उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना। एक दिन हमारा धैर्य जवाब दे गया। उसे पीट-पीटकर मार डाला और मुक्ति पा ली। हत्या कर 5 दिनों तक घर में ही लाश रखी रही। शव को ठिकाना लगाने का मौका नहीं मिला तो आंगन में ही दफना दिया।’ ये कबूलनामा उस सरिता देवी का है, जिसने अपने पति की हत्या कर शव को आंगन में ही दफना दिया और बड़ी बेटी के घर चली गई। सरिता ने दोनों बेटियों और दामाद के साथ मिलकर पति की हत्या क्यों की, पति सरिता को कैसे परेशान कर रहा था? दामाद और बेटियों ने हत्या में किस तरह साथ दिया? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए, पुलिस को सरिता ने क्या बताया गिरफ्तारी के बाद सरिता ने पूछताछ में पुलिस को बताया, ‘मैं रोजाना अपने पति से पिटती थी। इसके बावजूद मैंने कभी नहीं सोचा था कि उसकी हत्या कर दूंगी। लेकिन महेश ने मुझे उस मोड़ तक पहुंचा दिया, जहां एक औरत इंसान नहीं, सिर्फ जिंदा लाश बन जाती है।’ ‘पहले लगा कि पति-पत्नी का रिश्ता है, ठीक हो जाएगा। लेकिन 15–20 साल में उसके व्यवहार में सिर्फ हिंसा बढ़ी। वह दूध का कारोबार करता था, फिर भी शराब पीने के चक्कर में पुश्तैनी जमीन बेचने लगा।’ ‘मैं रोती, मिन्नत करती थी, ये जमीन मेरी बेटियों का सहारा है’ सरिता ने पुलिस को बताया कि, ‘मैं रोती थी, पति के सामने ये सब छोड़ देने की मिन्नत करती थी, शराब पीने को मना करती थी। जमीन बेचने को मना करती थी, समझाती थी कि ये जमीन ही मेरी बेटी का सहारा है, लेकिन महेश मेरी बातों को समझने के बजाय, मुझे पीटता था, कहता था- तेरी औकात क्या है मुझे रोकने की?’ सरिता ने कहा कि, बेटियां बड़ी हो गई थी, उसके सामने भी बदतमीजी करता था। कई बार बिना खाना खाए सोना पड़ा। कई बार उसने मुझे रातभर बाहर बैठा दिया। एक दिन उसने मुझे तेज हथियार से मारने की कोशिश की। मेरे कंधे पर गहरी चोट आई। तब भी मैं चुप रही। पुलिस में जाने की हिम्मत नहीं की। ‘मां, अब अगर हमने इसे नहीं रोका, तो हम सब खत्म हो जाएंगे’ सरिता ने बताया, ‘वारदात वाली रात ज्यादा शराब पीकर घर आया था। उस रात मेरी जमकर पिटाई की। उसने घर में थाली फेंक दी, बेटियों को गाली दी और मुझ पर चिल्लाने लगा। दामाद भी उसी समय घर आया हुआ था। दामाद ने कहा कि बाबूजी, आप मत पीटिए। फिर महेश ने उसे भी धक्का दे दिया और बोला कि तुम लोग सब मेरे दुश्मन हो। फिर महेश मुझे घसीटकर कमरे में ले गया, ये देख मेरी दोनों बेटियां डर गई, दामाद भी बेचारे चुपचाप देखते रहे। हालांकि, इस बीच मेरी बड़ी बेटी गुड़िया ने कहा- ‘पिताजी, बस कीजिए।’ इतना कहने के बाद महेश ने गुड़िया को चांटा मार दिया। उसी पल मेरे दिमाग में आया कि अब ये आदमी मेरे बच्चों का भविष्य भी मार देगा। ‘गला दबा कर उसे मार डाला’ महेश लड़खड़ाकर जमीन पर गिर गया। फिर हम तीनों ने महेश पर टूट पड़ा। उसकी पिटाई की। फिर महेश ने हाथ जोड़कर कहा कि मुझे छोड़ दो…लेकिन मेरे कानों में उसकी 20 साल की गालियां, मारपीट और अपमान गूंज रहा था। महेश चिल्लाता रहा, गिड़गिड़ाता रहा, इसके बावजूद गला दबाकर उसको मार डाला। ‘पांच दिन तक लाश घर में थी… फिर मिट्टी खोदकर दफना दिया’ सरिता ने बताया कि महेश की हमारी आंखों के सामने डेड बॉडी पड़ी थी। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। शव को ठिकाना लगाने का मौका नहीं मिला। फिर लाश को घर के बाहर आंगन में दफना दिया। इसके बाद बड़ी बेटी के घर चली गई। पैर बाहर रह गया था, बदबू ने सारा खेल बिगाड़ दिया एक पुलिसकर्मी ने नाम न छापने की रिक्वेस्ट पर कहा कि, सरिता ने बताया कि अंधेरे और जल्दबाजी में शव दफनाया। इस दौरान महेश के पैर की उंगलियां बाहर ही रह गया। यह हमलोग नहीं देखे। एक महीने बाद लाश से बदबू आने लगी, पड़ोसी घर के अंदर घुसे तो सारा सच सामने आ गया। अब जानिए, गिरफ्तार दामाद और सरिता की दोनों बेटियों की भूमिका बिगु यादव, जो गुड़िया का पति है। उसने महेश को पकड़ा। इसके बाद पत्नी और दोनों बेटियों ने गला दबाया। सरिता ने बताया कि अगर बिगु उस रात नहीं होता, तो महेश हम सबको गंभीर चोट पहुंचाता। वही था जिसने उसे पकड़कर शांत करने की कोशिश की, लेकिन महेश हिंसा पर उतारू था। गुड़िया और सोनम दोनों की बयान बताती है कि वे पिता की हिंसा से मानसिक रूप से टूट चुकी थीं। कई बार पिता ने उन्हें भी मारा था। हत्या वाली रात एक चांटा ने माहौल बदल दिया। सोनम, जो अविवाहित है, उसने भी पिता की मारपीट झेली थी। उसने मां के बयान में जोड़ते हुए कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि हम ऐसा करेंगे, लेकिन उस रात लगा कि बचने का यही रास्ता है। बेटियों ने महेश की पिटाई में एक्टिव भूमिका निभाई। गला दबाने में वे सीधे शामिल थीं या नहीं, इस पर पुलिस जांच कर रही है।
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