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पटना HC ने AIG प्रशांत कुमार का केस रद्द किया:विशेष निगरानी इकाई सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती, आय से अधिक संपत्ति का मामला

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार निबंधन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और मुजफ्फरपुर के तत्कालीन AIG प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले को रद्द कर दिया है। इस आदेश पर असंतोष व्यक्त करते हुए विशेष निगरानी इकाई (SVU) ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने का निर्णय लिया है। विशेष निगरानी इकाई को विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिली थी। प्रशांत कुमार ने 1996 में बिहार निबंधन सेवा में शामिल होने के बाद अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट और अवैध तरीकों से बड़ी मात्रा में चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। शिकायत के आधार पर की गई प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि उन्होंने 1996 से अब तक विभिन्न स्थानों पर तैनाती के दौरान लगभग 2.06 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति जमा की। 2.57 करोड़ रुपए से अधिक किए थे खर्च जांच के अनुसार, प्रशांत कुमार की कुल आय विभिन्न स्रोतों जैसे वेतन, बैंक ऋण और अन्य माध्यमों से लगभग 2.95 करोड़ रुपए आंकी गई थी। उन्होंने रसोई खर्च के अलावा अन्य मदों में 2.57 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए। इसी आधार पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। प्रारंभिक जांच के बाद, विशेष निगरानी इकाई थाना कांड संख्या 15/2022 के तहत उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (B) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(b), 13(2) और धारा 12 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। निगरानी ने तलाशी वारंट लिया था प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, निगरानी इकाई ने तलाशी वारंट हासिल कर पटना, सिवान और मुजफ्फरपुर स्थित उनके कार्यालय और आवासीय परिसरों में छापेमारी की। इस दौरान 2.46 लाख रुपए नकद, 22.26 लाख रुपए के सोने-चांदी के आभूषण, एसबीआई का एक बैंक लॉकर जिसमें 32.25 लाख रुपए के जेवर थे, जमीन में निवेश से जुड़े डीड और दस्तावेज, 11 बैंक खाते, शेयर संबंधित दस्तावेज और एलआईसी और स्टार हेल्थ में निवेश से संबंधित कागजात बरामद किए गए। हालांकि पटना के बोरिंग कैनाल रोड स्थित अलख राज अपार्टमेंट के एक फ्लैट का मूल्य प्राथमिकी में शामिल नहीं किया गया था, फिर भी तलाशी के दौरान कुल आय से अधिक संपत्ति लगभग 2.03 करोड़ रुपए पाई गई। परिवार की संपत्ति और बच्चों की पढ़ाई भी जांच के दायरे में अनुसंधान के दौरान यह भी सामने आया कि प्रशांत कुमार और उनकी पत्नी प्रीति कुमारी के नाम पर पटना और गुड़गांव में दुकान, ऑफिस, जमीन और मकान सहित कई अचल संपत्तियां हैं। साथ ही विभिन्न वित्तीय संस्थानों में निवेश और बैंक बैलेंस की भी जांच की जा रही है। इसके अलावा उनके दोनों बेटों की उच्च शिक्षा मेडिकल पढ़ाई और दूसरे की सिक्किम मणिपाल से एमबीए पर करीब एक करोड़ रु. खर्च होने का अनुमान है। हाईकोर्ट से मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी इसी बीच प्रशांत कुमार ने पटना उच्च न्यायालय में प्राथमिकी रद्द करने की याचिका दायर की। पटना उच्च न्यायालय ने संबंधित मामले में 8 दिसंबर 2025 को प्राथमिकी रद्द कर दिया। यह एक महीने के अंदर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में प्राथमिकी रद्द होने का दूसरा मामला बताया जा रहा है। बिहार प्रशासनिक सेवा पदाधिकारी 2011 बैच की श्वेता मिश्रा मामले में याचिका रद्द की गई थी। हाईकोर्ट के इस आदेश पर विशेष निगरानी इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक पंकज दराद ने असंतोष व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने का निर्णय लिया है।


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