पटना से निकलने वाले नारियल वेस्ट को प्रोसेस करने के लिए दानापुर रेलवे स्टेशन के पास एक प्रोसेसिंग प्लांट बनाया गया है। इससे हर दिन 10 टन नारियल वेस्ट को प्रोसेस किया जाता है। यहां नारियल छिलकों को कोकोपीट और फाइबर में बदला जाता है। फिर इससे रस्सियां बनाई जाती हैं, जिसका इस्तेमाल चटाई और अन्य हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है। अभी यह नारियल वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट दानापुर में स्थापित है। जल्द ही बैरिया और कंकड़बाग में भी नए प्रोसेसिंग प्लांट को स्थापित किया जाएगा। इसके लिए जमीन देखी जा रही है। पटना से रोज निकलता 25-30 मीट्रिक टन नारियल वेस्ट पटना नगर निगम के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट अरविंद कुमार ने कहा, पटना में रोजाना 25-30 मीट्रिक टन नारियल के छिलके सड़क किनारे, नालियों और कूड़े के ढेरों में फेंक दिए जाते हैं। इससे काफी गंदगी फैलती है। इससे निजात पाने के लिए नगर आयुक्त यशपाल मीणा के नेतृत्व में नारियल अपशिष्ट प्रबंधन की नई पहल शुरू की गई है। इन नारियल छिलकों को कलेक्शन के बाद इसकी सफाई होती है। फिर श्रेडिंग मशीन से इसे कतर कर इसके रेशे अलग किए जाते हैं। फिर इसे ड्राई करने के बाद छाना जाता है और फिर उपयोगी उत्पादों में बदला जाता है। प्रोडक्ट को बनाकर बाजारों में बेच रहे इस प्रोडक्ट को बनाकर बाजारों में मार्केट प्राइस से कम में बेचा जा रहा है। हर दिन 2 टन रस्सी बनाया जाता है। वहीं, कोको-पीट को नर्सरी में बेचा जा रहा है, क्योंकि यह कंपोस्टिंग में काफी फायदेमंद होता है। अभी इस प्रोसेसिंग प्लांट में करीब 10 लोग काम कर रहे हैं। अब दो कचरा गाड़ियों का इस्तेमाल सिर्फ नारियल वेस्ट को उठाने में ही किया जाएगा। कंकड़बाग और बैरिया में नए प्लांट किए जाएंगे स्थापित अभी फिलहाल तीन अंचल- पाटलिपुत्र अंचल, नूतन राजधानी अंचल और बांकीपुर अंचल के नारियल वेस्ट की ही प्रोसेसिंग हो पा रही है। अजीमाबाद अंचल, कंकड़बाग अंचल और पटना सिटी अंचल के वेस्ट का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। यह मौजूदा प्रोसेसिंग प्लांट से काफी दूर है और इसके ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट काफी ज्यादा हो जा रहा है। इसीलिए इन तीनों अंचल के करीब में स्थित कंकड़बाग और बैरिया में एक नए प्लांट को स्थापित किया जाएगा।
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