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पटना में स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट फेल:तीन साल बाद भी नहीं बदली पार्किंग व्यवस्था, तय जगह पर लग रहे फूड स्टॉल; मैनुअल टिकट वसूली

पटना में पार्किंग को व्यवस्थित करना और शहर में लगने वाले जाम को कंट्रोल करना ट्रैफिक पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम ने 3 साल पहले जोर शोर से स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। प्रशासन ने दावा किया था कि यह योजना न केवल पटना की भीड़भाड़ और अव्यवस्था दूर करेगी, बल्कि अन्य जिलों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बनेगी। आज तीन साल बाद भी यह महत्वाकांक्षी योजना सिर्फ कागजों तक सिमटकर रह गया है। भास्कर के रियलिटी चेक में चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां स्मार्ट पार्किंग बनाई जानी थी, वहां आज फुटपाथ पर खाने पीने के ठेले लगे हैं। गाड़ियां अवैध रूप से खड़ी हैं। कहीं कोई ऑटोमैटिक सिस्टम नहीं, न कैमरा, न एप आधारित बुकिंग, न ही स्मार्ट कार्ड से भुगतान, पूरी व्यवस्था फेल नजर आ रही है। फीस तय हुई, बोर्ड लगे… पर पार्किंग गायब स्मार्ट पार्किंग के लिए शुल्क भी तय कर दिया गया था। सभी तय पार्किंग स्थल पर प्राइस चार्ट भी लगा दिया गया था। इसके तहत 4-व्हीलर पार्किंग के पहले 2 घंटे के लिए ₹20 और हर अतिरिक्त घंटा पर ₹20 का चार्ज लिया जाना था। इसी तरह 2-व्हीलर पार्किंग के पहले 2 घंटे के लिए ₹10 और हर अतिरिक्त घंटा पर ₹10 का चार्ज तय किया था। स्मार्ट पार्किंग योजना: कागज पर आधुनिक, जमीन पर गायब तीन साल पहले पटना में पहली बार 37 स्मार्ट पार्किंग बनाने की घोषणा हुई थी। इसमें शामिल है: घोषणा के मुताबिक, स्मार्ट पार्किंग शुरू होते ही लोगों को एप पर रियल टाइम लोकेशन दिखता कि किस पार्किंग में कितनी जगह खाली है। लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है। न एप का उपयोग हो रहा, न पार्किंग बनी, न मॉनिटरिंग शुरू हुई। जगह-जगह ठेले, फुटपाथ कब्जा और मैनुअल टिकट वसूली जिन स्थानों पर पार्किंग जोन तय हुए थे, वहां आज ठेले–खोमचे खड़े हैं। कई जगहों पर फुटपाथ कब्जा है। बिना स्मार्ट सिस्टम के हाथ से टिकट काटकर वसूली जारी है। कहीं-कहीं नगर निगम के पुराने बोर्ड तो लगे हैं, लेकिन पार्किंग का अस्तित्व नहीं है। कैमरा, सेंसर, ऑटो-पे स्टेशन, कुछ भी नहीं लगाया गया है। प्रशासन और एजेंसी का समन्वय पूरी तरह फेल दिख रहा है। इन प्रमुख स्थानों पर बनाई जानी थी स्मार्ट पार्किंग, एक भी नहीं मिली इन सभी जगहों पर स्मार्ट पार्किंग का ज़िक्र तो है, लेकिन जमीन पर कुछ भी तैयार नहीं है। तीन साल बाद भी हालात जस के तस हैं। ट्रैफिक पुलिस को जाम कंट्रोल करने में लगातार परेशानी हो रही है। शहरवासी अव्यवस्थित पार्किंग और अवैध वसूली से परेशान हैं।


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