पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व CM व भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर नई चर्चाएं छिड़ गई हैं। कैप्टन ने खुलकर कहा कि वह कांग्रेस को मिस कर रहे हैं। भाजपा में तो कुछ पूछा-बताया नहीं जाता। उनका बयान आते ही 2017 में कांग्रेस की विनिंग टीम में उनके सबसे करीबी साथी रहे सांसद सुखजिंदर रंधावा ने भी कैप्टन तारीफों के पुल बांध दिए। कैप्टन को दोस्तों का दोस्त बता दिया। इसको लेकर सियासत में सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में वापसी करना चाहते हैं। उनके पुराने साथियों का एक्टिव होना क्या इस बात का संकेत है कि कांग्रेस में फिर कोई बगावत का खेल होने वाला है। सवाल-जवाब से जानते हैं कि क्या कैप्टन कांग्रेस में जाएंगे?, क्या कांग्रेस को उनकी जरूरत है?, कांग्रेस के नेता क्या कैप्टन को फिर से कबूल करेंगे? या फिर कैप्टन की बयानबाजी भाजपा का ही गेम प्लान है? सवाल: कैप्टन ने कांग्रेस को लेकर क्या कहा था?
जवाब: कैप्टन ने कांग्रेस छोड़ने पर कहा कि पार्टी ने कई काम मेरे साथ गलत किए थे, इसलिए ये कदम उठाया। हालांकि, मैं आज भी कांग्रेस को मिस करता हूं। कांग्रेस एक फैमिली की तरह है। मैं जब भी फोन करता था, तो वह मुझसे मिल लेते थे। मगर, BJP में ये सिस्टम नहीं है। सवाल: कैप्टन को BJP ने क्या जिम्मेदारी दी?
जवाब: कैप्टन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता था। इसी वजह से कांग्रेस छोड़ने के बाद कैप्टन ने अपनी पार्टी भी भाजपा में विलय कर दी। हालांकि भाजपा ने कैप्टन को पार्टी में कोई बड़ा पद नहीं दिया था। खास तौर पर, कांग्रेस से आए सुनील जाखड़ को प्रधान बनाया गया लेकिन कैप्टन महज एक नेता बनकर रह गए हैं। सवाल: पंजाब की राजनीति में कैप्टन का रोल अहम क्यों है?
जवाब: कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में ही कांग्रेस ने 2 बार पंजाब में सरकार बनाई। तब कैप्टन के पास पंजाब कांग्रेस की प्रधानगी भी होती थी। हालांकि सीएम बनने के बाद कैप्टन ने अपने हिसाब से सरकार चलाई। कई बार उन्होंने हाईकमान की ख्वाहिशों को भी नहीं माना। इसका उदाहरण 2018 में एक मंत्री को हटाने का मुद्दा है, जिस पर राहुल गांधी को चेतावनी देनी पड़ गई थी। सवाल: भाजपा पंजाब में कैप्टन को सर्वेसर्वा क्यों नहीं बनाती?
जवाब: कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने स्टाइल में काम करने के लिए जाने जाते हैं। वह सरकार चलाने के कामकाज में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करते। राजनीतिक चर्चाएं यही हैं कि कैप्टन को इसी वजह से भाजपा पंजाब में फ्री हैंड नहीं देना चाहती। इसकी बड़ वजह ये भी है कि पंजाब का भाजपा कैडर भी बाहर से आए नेता की अगुआई नहीं मानती। यही वजह है कि सुनील जाखड़ के साथ अश्वनी शर्मा को कार्यकारी प्रधान लगा दिया गया। सवाल: कांग्रेस सांसद ने कैप्टन की तारीफ में क्या कहा?
जवाब: गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि कैप्टन सेक्युलर, एडमिनिस्ट्रेटर व स्टेट फॉरवर्ड नेता हैं। उनके दिल में जो है, वह जुबान पर भी रहता है। मैं आज भी उनकी इज्जत करता हूं। कैप्टन जुबान के पक्के हैं। दोस्तों के दोस्त, दुश्मनों के दुश्मन हैं। सवाल: कैप्टन की तारीफ करने वाले सांसद रंधावा कौन हैं?
जवाब: सांसद सुखजिंदर रंधावा कभी कैप्टन की कोर टीम का हिस्सा होते थे। खासकर, 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हर कदम पर कैप्टन के साथ रहते थे। पंजाब के माझा इलाके में कांग्रेस को ताकतवर करने में रंधावा की माझा ब्रिगेड (सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया) का अहम रोल रहता था। सवाल: सांसद रंधावा और कैप्टन अमरिंदर के रिश्ते कैसे बिगड़े?
जवाब: इसकी खुलकर तो कभी कोई वजह सामने नहीं आई लेकिन इसके पीछे माझा ब्रिगेड के मंत्रियों की फाइलों को लेकर मुद्दा बना था। फिर जब 2023 में सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ बगावत की तो रंधावा भी उसी खेमे में शामिल हो गए। जिसके बाद कैप्टन और उनके बीच खूब बयानबाजी भी चली। सवाल: कैप्टन के कांग्रेस में आने के कयास क्यों लगा जा रहे?
जवाब: सुखजिंदर रंधावा ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि पंजाब की पॉलिटिक्स पूरे देश से अलग है। यहां पार्टी से ज्यादा फेस पर लोग फेथ करते हैं। पिछले 25 साल में पंजाब में दो ही बड़े नेता हुए हैं एक प्रकाश सिंह बादल और दूसरा कैप्टन अमरिंदर सिंह। रंधावा ने ये भी कहा कि आज की जेनरेशन में ऐसा कोई नेता नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि रंधावा के इस बयान के जरिए कांग्रेस भी चाहती है कि कैप्टन फिर से कांग्रेस में आएं। सवाल: क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस को जरूरत है?
जवाब: पंजाब के नेताओं की मानें तो नहीं लेकिन राजनीतिक हालात देखें तो कांग्रेस अभी कई गुटों में बंटी पड़ी है। जिसमें पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी, प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग, CLP लीडर प्रताप सिंह बाजवा और सांसद सुखजिंदर रंधावा प्रमुख हैं। इसके अलावा नवजोत सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू भी अलग चल रही हैं। ज्यादा लीडरों से कांग्रेस किसी एक की अगुआई में चलने को तैयार नहीं दिखती। कांग्रेस को एक कद्दावर नेता की जरूरत तो है लेकिन वह कैप्टन ही हो सकते हैं, इसकी संभावना कम है। सवाल: सांसद रंधावा ने बयान दिल्ली जाकर क्यों दिया?
जवाब: पंजाब में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी को लेकर हाईकमान के पास शिकायतें हैं। नवजोत कौर सिद्धू ने पूरी कांग्रेस को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इंटरव्यू आए 2 दिन हो गए। उसके बाद से रंधावा लगातार मीडिया में बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कैप्टन के बारे में कुछ भी नहीं कहा। जब वो वोट चोर कुर्सी छोड़ रैली में शामिल होने दिल्ली गए तो उसके बार उन्होंने यह इंटरव्यू दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं रंधावा ने हाईकमान के कहने पर ये बातें तो नहीं कही। कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की स्क्रिप्ट लिखने वालों में रंधावा भी सबसे आगे थे। सवाल: क्या कैप्टन कांग्रेस में जाएंगे, भाजपा ने कुछ नहीं दिया?
जवाब: यूं तो राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है लेकिन कैप्टन ने खुद कांग्रेस में जाने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह गार्डनिंग कर लेंगे लेकिन भाजपा नहीं छोड़ेंगे। भाजपा ने भले ही कैप्टन को कोई बड़ा पद न दिया हो लेकिन उनकी बेटी जयइंदर कौर को पंजाब महिला भाजपा के अध्यक्ष का पद दिया है। सवाल: क्या कांग्रेस हाईकमान कैप्टन को स्वीकार करेगा?
जवाब: कैप्टन अमरिंदर सिंह के सोनिया गांधी से अच्छे सियासी रिश्ते रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद भी उन्होंने कभी सोनिया गांधी के खिलाफ बयानबाजी नहीं की। हालांकि राहुल गांधी को लेकर जरूर उनकी बयानबाजी रही है लेकिन सोनिया गांधी की चली तो इसमें कोई मुश्किल नहीं होगी?। सवाल: अगर कैप्टन नहीं आते तो ऐसा कौन सा चेहरा है जो कांग्रेस को एकजुट कर सकती है?
जवाब: फिलहाल तो गुटबाजी में बंटी कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आता। सिद्धू, वड़िंग, बाजवा, रंधावा और चन्नी, CM बनने की चाह में सभी अलग-अलग चल रहे हैं। हालांकि इनके साथ जालंधर से विधायक परगट सिंह भी दावेदार हैं। वह लगातार आप और भाजपा को टारगेट करते रहते हैं। हालांकि स्टेट लेवल पर उनकी लोकप्रियता को कांग्रेस जरूर चेक करेगी। आखिरी सवाल: कैप्टन के बयान के पीछे भाजपा का गेमप्लान तो नहीं?
जवाब: ऐसा हो सकता है, कैप्टन के भाजपा में कुछ न पूछने-बताने और कांग्रेस मिस करने के बयान पर भाजपा से कोई तगड़ा रिएक्शन नहीं आया। भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ और वर्किंग प्रधान अश्वनी शर्मा ने भी कुछ नहीं कहा। दूसरा… कैप्टन ने अकाली दल से गठजोड़ की वकालत कर अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल की तारीफ की। हालांकि पंजाब भाजपा के नेता ऐसा नहीं चाहते लेकिन कैप्टन के जरिए भाजपा अपने पंजाब के नेताओं को गठबंधन का इशारा दे रही है। लोगों के बीच मैसेज जाएगा कि अकाली दल से गठबंधन पर कहीं से विरोध नहीं है। शहरी हिंदू वोटर को भी साधकर रखे रहेंगे।
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