नए साल 2026 के स्वागत और साल 2025 की विदाई को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। हर कोई चाहता है कि नए साल की शुरुआत कुछ खास और यादगार हो। ऐसे में अगर आप भीड़-भाड़ और शोरगुल से दूर, प्राकृतिक शांति, धार्मिक आस्था और आधुनिक पर्यटन सुविधाओं के साथ नए साल का जश्न मनाना चाहते हैं, तो बिहार के बांका जिले में स्थित मंदार पर्वत और ओढ़नी डैम आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकते हैं। ये दोनों स्थल न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं, बल्कि यहां पिकनिक, घूमने-फिरने और रोमांचक गतिविधियों की भरपूर सुविधाएं भी मौजूद हैं। आस्था और इतिहास का केंद्र है मंदार पर्वत बांका जिले का मंदार पर्वत धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन में मंदार पर्वत को मथानी के रूप में प्रयोग किया गया था। इसी कारण इसे विश्व-सृष्टि का मूक साक्षी भी कहा जाता है। पुराणों और महाभारत में मंदार पर्वत से जुड़ी कई कथाओं का उल्लेख मिलता है, जो इसकी महत्ता को और बढ़ा देती हैं। पुरातात्विक धरोहरों से समृद्ध स्थल इतिहासकारों के अनुसार, समुद्र मंथन का उद्देश्य आर्य और अनार्य समाज के बीच सौहार्द स्थापित करना था, जिसमें मंदार पर्वत की अहम भूमिका रही। समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों के साथ कालकूट विष भी निकला था। आज भी मंदार पर्वत पर कई पुरातात्विक अवशेष मौजूद हैं, जो इसके गौरवशाली अतीत की कहानी बयां करते हैं। लगभग 700 फीट ऊंचा यह पर्वत श्रद्धालुओं के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करता है। तीन धर्मों का संगम एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक राक्षस का वध कर उसे मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था। कहा जाता है कि यह युद्ध हजारों वर्षों तक चला था। इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के कारण मंदार पर्वत को सनातन, जैन और सफा—तीनों धर्मों का संगम स्थल माना जाता है। नए साल के मौके पर यहां हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। बौसी मेला और रोपवे बने आकर्षण मंदार पर्वत क्षेत्र में लगने वाला बौसी मेला बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मेला माना जाता है। इसका सीधा संबंध पापहरणी सरोवर और मंदार पर्वत से है। हाल के वर्षों में यहां रोपवे सेवा शुरू होने से पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। रोपवे के जरिए पर्वत की ऊंचाई से प्राकृतिक नजारों का आनंद लेना लोगों के लिए यादगार अनुभव बन रहा है। ओढ़नी डैम: प्रकृति और रोमांच का संगम मंदार पर्वत के साथ-साथ ओढ़नी डैम भी नए साल के जश्न के लिए पर्यटकों की पसंद बनता जा रहा है। बांका जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित यह डैम हरियाली, पहाड़ियों और शांत वातावरण से घिरा हुआ है। यहां बोटिंग, वाटर स्कूटर और अन्य वाटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो रोमांच पसंद करने वालों को खूब लुभा रही हैं। आइलैंड रिसॉर्ट और आधुनिक सुविधाएं ओढ़नी डैम में बना आइलैंड रिसॉर्ट पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है। डैम के पानी के बीच बने इस रिसॉर्ट में ठहरना एक अलग अनुभव देता है। यहां फिलहाल 2 सुइट कॉटेज और 6 कॉटेज उपलब्ध हैं। साथ ही वर्ल्ड क्लास किचन की व्यवस्था की गई है, जहां होटल ताज की तर्ज पर शेफ की सुविधा दी जा रही है। बढ़ती भीड़ को देखते हुए 10 अतिरिक्त बोट और हाई-स्पीड बोट, जेट स्की, बनाना राइड जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं। पर्यटन विभाग की बड़ी योजनाएं पर्यटन विभाग द्वारा ओढ़नी डैम के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए लगभग 7.49 करोड़ रुपये की लागत से कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें थीम पार्क, ओपन एयर थिएटर, कनेक्टिंग ब्रिज, चिल्ड्रन पार्क, फाउंटेन और लैंडस्केपिंग शामिल हैं। इसके अलावा 3.45 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक कैफेटेरिया का निर्माण भी पूरा कर लिया गया है, जिसके जल्द चालू होने की संभावना है। न्यू ईयर के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन कुल मिलाकर, नववर्ष 2026 के स्वागत के लिए मंदार पर्वत और ओढ़नी डैम आस्था, इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का अनोखा संगम प्रस्तुत करते हैं। अगर आप नए साल की शुरुआत सुकून और यादगार पलों के साथ करना चाहते हैं, तो बांका के ये पर्यटन स्थल आपके लिए आदर्श विकल्प साबित हो सकते हैं।
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