पश्चिम चंपारण में कड़ाके की ठंड का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार शीतलहर, पछुआ हवा और घने कोहरे के कारण तापमान सामान्य से नीचे बना हुआ है। सुबह और देर शाम ठंड का असर सबसे अधिक महसूस किया जा रहा है, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। सड़कों और बाजारों में भी लोगों की आवाजाही घट गई है, वहीं बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस दर्ज वहीं मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों तक ठंड से राहत के आसार कम हैं। ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से ठंड से बचाव के उपाय अपनाने और आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलने की अपील की है। बुधवार को अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 08 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं हवा का वेग 07 किलोमीटर प्रति घंटे दर्ज किए गए। जोड़ों के दर्द से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी ठंड का सीधा असर अस्पतालों में भी देखने को मिल रहा है। सर्दी-खांसी, बुखार, सांस की परेशानी, अस्थमा और जोड़ों के दर्द से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के ओपीडी में सर्दी-खांसी, बुखार, सांस की परेशानी, अस्थमा और जोड़ों के दर्द से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार लोगों को ठंड में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। फसलों पर कोहरा और पाला पड़ने का खतरा कृषि क्षेत्र पर भी ठंड का असर साफ नजर आ रहा है। गेहूं, सरसों और आलू जैसी रबी फसलों पर कोहरा और पाला पड़ने का खतरा बना हुआ है। माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि किसानों को सिंचाई और फसल सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़गी। वहीं सब्जियों की फसलों को नुकसान की आशंका से किसान रात में खेतों में धुआं कर रहे हैं। पशुओं को गर्म रखने के लिए अतिरिक्त इंतजाम कड़ाके की ठंड का असर पशुपालन पर भी साफ तौर पर दिखने लगा है। पशुओं में सर्दी-जुकाम, निमोनिया, खांसी और बुखार की शिकायतें बढ़ रही हैं, वहीं ठंड के कारण दुग्ध उत्पादन में भी कमी आ रही है। खासकर छोटे बछड़ों और बुजुर्ग पशुओं पर ठंड का प्रभाव अधिक देखा जा रहा है। ठंड से बचाव के लिए पशुपालक जानवरों को खुले में रखने से परहेज कर रहे हैं। फर्श पर पुआल, भूसा या बोरा बिछाएं, जलाएं अलाव पशु शेड को चारों ओर से ढंककर रखा जा रहा है और फर्श पर पुआल, भूसा या बोरा बिछाया जा रहा है, ताकि ठंड जमीन से न लगे। कई जगहों पर अलाव की व्यवस्था भी की जा रही है। पशु चिकित्सकों के अनुसार ठंड के मौसम में पशुओं को संतुलित और गर्म आहार देना जरूरी है। गुनगुना पानी पिलाने, नियमित सफाई रखने और बीमार पशुओं को तुरंत इलाज दिलाने की सलाह दी गई है। समय पर देखभाल और अतिरिक्त सतर्कता से पशुओं को ठंडजनित बीमारियों से बचाया जा सकता है।
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