मातृत्व सुरक्षा अभियान के तहत पटना जिले के नौ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन तो लगा दी गई है, लेकिन चलाने के लिए न तो रेडियोलॉजिस्ट हैं और न ही प्रशिक्षित तकनीशियन। पहले से जिन अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध है, वहां भी रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन नहीं रहने से मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। राजधानी के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में एक साल से अल्ट्रासाउंड जांच ठप है। कारण, तकनीशियन नहीं है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं और अन्य मरीज आते हैं, लेकिन निराश लौटना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, कई बार पत्राचार के बावजूद अबतक तकनीशियन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि पटना जिले के किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नियमित अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा चालू नहीं है। गर्भवती महिलाओं को परेशानी : अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो रही है। उन्हें निजी जांच केंद्रों में 1500 से 3000 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित प्रसव के लिए बनाए गए एल-1 प्रसव केंद्रों में भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। यहां केवल रक्तचाप, एनीमिया, मधुमेह और एचआईवी जैसी जांच की जाती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अल्ट्रासाउंड मशीन इंस्टॉल कर दी गई है। अभी तक रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन नहीं मिले हैं, जिस वजह से जांच शुरू नहीं हो पाई है। जैसे ही मैनपावर मिलेंगे, गर्भवती माताओं को अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा मिलने लगेगी।- डॉ. अविनाश कुमार सिंह, सिविल सर्जन
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