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नो एंट्री में घुसना पड़ा भारी,टापू में फंसे 5 लोग:देहरादून में SDRF ने टॉर्च की रोशनी में किया रेस्क्यू, रस्सियों के सहारे यमुना कराई पार

देहरादून के विकासनगर में रविवार शाम 5 लोगों ने सेल्फी के चक्कर में अपनी जान जोखिम में डाल दी। दरअसल विकासनगर के कटापत्थर क्षेत्र में नो एंट्री के बावजूद ये पांचों लोग यमुना नदी के बीच बने टापू तक पहुंच गए थे। इसी बीच डैम से पानी छोड़ दिया गया। हालांकि हूटर भी बजा लेकिन सभी मस्ती में इतने मस्त थे की किसी ने हूटर की आवाज सुनी ही नहीं। देखते ही देखते जब टापू चारों तरफ से पानी से घिर गया तब इन्हें पता चला की हम तो मुसीबत में फंस गए हैं। किसी तरह किसी ने पुलिस को सूचना दी, मौके पर एसडीआरएफ भी तुरंत पहुंची और रस्सियों के सहारे टॉर्च की रोशनी में इन सभी का रेस्क्यू किया गया। अब रेस्क्यू से जुड़ी PHOTOS देखें… दो अलग-अलग परिवारों से थे सभी लोग रेस्क्यू किए गए लोगों में साक्षी (23), मानसी (23), अदिति (15), देवांश (15) और नीलम (33) शामिल हैं। सभी जीवनगढ़ क्षेत्र, कोतवाली विकासनगर के निवासी हैं। पुलिस के अनुसार सभी लोग आपस में परिचित थे और पिकनिक मनाने यहां पर पहुंचे थे, तभी एक सदस्य ने सेल्फी के लिए टापू पर चलने के लिए बोला और सभी जान की परवाह किए बिना टापू पर पहुंच गए।
अब पढ़िए आखिर नो एंट्री के बावजूद अंदर कैसे पहुंचे देहरादून में स्थित कटापत्थर क्षेत्र में इन दिनों नो एंट्री है। यहां पर सिंचाई विभाग का गेट लगा हुआ है, जो सैलानियों की आवाजाही रोकने के लिए ही लगाया गया था। पुलिस के अनुसार फंसे लोग इसी गेट को किसी तरह पार कर शाम को भीतर पहुंचे। प्रशासन का कहना है कि ऐसे मामलों में लोग अक्सर खतरे को हल्के में लेते हैं, जबकि यह इलाका सीधे जल परियोजनाओं से प्रभावित रहता है। अचानक बढ़ा पानी, चंद मिनटों में टापू पानी से घिरा यमुना नदी में यह स्थिति किसी प्राकृतिक बाढ़ के कारण नहीं बनी, बल्कि व्यासी परियोजना और भागड़ा डैम से छोड़े गए पानी के कारण जलस्तर तेजी से ऊपर आया। यह प्रक्रिया रोजमर्रा की है और तय समय पर की जाती है। डैम से पानी छोड़े जाने के बाद नदी का बहाव कुछ ही मिनटों में खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे बीच में फंसे लोगों के लिए बाहर निकलना असंभव हो जाता है। मौके पर SDRF ने संभाली स्थिति 5 बजे सूचना मिलते ही डाकपत्थर चौकी प्रभारी संदीप पंवार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। हालात का जायजा लेने के बाद एसडीआरएफ और जल पुलिस को बुलाया गया। टीमों ने बहाव और गहराई को देखते हुए सुरक्षित बिंदु तय किए और चरणबद्ध तरीके से रेस्क्यू को अंजाम दिया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद सभी को बिना किसी चोट के बाहर निकाला गया। प्रशासन का साफ संदेश रेस्क्यू के बाद पुलिस और प्रशासन ने साफ किया कि बंद किए गए इलाकों में घुसना सीधे जान से खिलवाड़ है। डैम प्रभावित क्षेत्रों में नदी का जलस्तर बिना किसी चेतावनी के खतरनाक हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि प्रतिबंधों का पालन करें और ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां पहले से ही सुरक्षा कारणों से आवाजाही रोकी गई हो।


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