डॉ. आर. पी. पाराशर, एमसीडी डायबिटिक सेंटर, रोहिणी के CMO और आयुर्वेद विशेषज्ञ, बताते हैं कि दक्षिण भारत में प्रचलित सिद्ध चिकित्सा पद्धति में नीली/काली हल्दी का उपयोग सदियों से होता आया है. इसे कई औषधियों के वाहन (carrier) के रूप में भी प्रयोग किया जाता रहा है.
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