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नीतीश से मिले ओवैसी के विधायक, ‘खेल’ होगा:AIMIM विधायकों के साथ मीटिंग कर JDU ने भाजपा को क्या मैसेज दिया, 2 पॉइंट में

‘मैं दूसरे दल में जरूर हूं, लेकिन नीतीश कुमार के एहसान को नहीं भूल सकता हूं। मैं एहसान फरामोश नहीं हूं। वो हमारे राजनीतिक गुरु हैं।’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM विधायक मो. मुर्शीद आलम ने यह बातें कही। उनके साथ CM से मिलने वालों में उनकी पार्टी के 2 और विधायक थे। जोकीहाट विधायक आलम के सियासी गुरु वाले बयान से राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह महज विकास की मांग है या फिर कोई नया ‘सियासी खेला’ लिखने की तैयारी? जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सवाल-1ः ओवैसी के विधायकों के नीतीश कुमार से मुलाकात का पूरा मामला क्या है? जवाबः 8 दिसंबर (सोमवार) को AIMIM के 5 में से 3 विधायक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले। इसमें बिहार AIMIM अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान, मो. मुर्शीद आलम तथा सरवर आलम शामिल थे। मुलाकात के बाद विधायकों ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री को बताया है… जोकीहाट विधायक के बयान ने सबका ध्यान खींचा मुलाकात के बाद जोकीहाट विधायक आलम के बयान ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा, ‘बिहार को आगे बढ़ाने में उनका योगदान अहम है। मैं दूसरे दल में जरूर हूं, लेकिन नीतीश कुमार के एहसान को नहीं भूल सकते। एहसान फरामोश नहीं हूं। 2014 में मुझे नीतीश कुमार ने JDU शामिल कराया था। वही मुझे राजनीति में लाए थे। लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो विरोध भी करूंगा।’ इस बयान के बाद डैमेज कंट्रोल करते हुए AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरउल ईमान ने कहा, हमारी और विधायकों की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई मुलाकात का कोई और मायने नहीं निकाला जाए। हम सीमांचल के मुद्दे पर मिलने गए थे। इसीलिए कोई सियासी अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। सवाल-2ः क्या ओवैसी के विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं? जवाबः इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। सीमांचल एरिया के सीनियर जर्नलिस्ट पंकज भारतीय कहते हैं, ‘AIMIM के विधायकों को पता है कि विपक्ष में रहकर अपने एरिया में ज्यादा काम नहीं करा सकते। काम कराने के लिए सरकार का सहयोग चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं है कि वो JDU में शामिल ही हों, वह बाहर से भी सरकार को सशर्त समर्थन दे सकते हैं। इसका संकेत ओवैसी अपनी यात्रा के दौरान भी दे चुके हैं।’ 2022 में ओवैसी के 4 विधायक टूट गए थे सवाल-3ः नीतीश कुमार क्या ओवैसी के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा सकते हैं? जवाबः 50-50 चॉंसेज है। पॉलिटिकल एनालिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘नीतीश कुमार अगर तोड़ना भी चाहेंगे तो ओवैसी से पहले कांग्रेस और BSP-IIP पर नजर डाल सकते हैं। क्योंकि उनके विधायक भाजपा के साथ भी जा सकते हैं। ओवैसी के विधायकों के पास भाजपा के साथ जाने का ऑप्शन नहीं है।’ सवाल-4ः नीतीश कुमार को नंबर एक पार्टी बनने से क्या फायदा होगा? जवाबः इसके 2 बड़े फायदे हैं… 1. मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित पॉलिटिकल एनालिस्ट सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘नंबर-1 पार्टी बनने से नीतीश कुमार के पास कम से कम संवैधानिक रूप से मजबूती तो रहेगी। तोड़फोड़ की स्थिति में राज्यपाल विधानसभा में नंबर-1 पार्टी को ही सरकार बनाने का न्योता देते हैं।’ सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘नीतीश कुमार अगर 90 तक पहुंच गए तो स्वभाविक रूप से मजबूत हो जाएंगे। उनके लिए संवैधानिक लड़ाई कम से कम मजबूत रहेगी।’ इसे ऐसे समझिए… चुनावी नतीजे ऐसे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ भी मिलकर सरकार बना सकते हैं। चूंकि इस बार भाजपा मजबूत है तो नीतीश कुमार अगर पाला बदलते हैं तो वह सीधे हाथ से बाजी तो नहीं जाने देगी। ऐसी स्थिति में उनको विधानसभा में नंबर-1 पार्टी बनने का फायदा मिल सकता है। हालांकि, राज्यपाल सरकार बनाने का न्योता अपने विवेक के आधार पर लेते हैं। 2. भाजपा का प्रेशर कम होगा फिलहाल नीतीश कुमार भाजपा, LJP(R), HAM और RLM की मदद से सरकार चला रहे हैं। पॉलिटिकल एनालिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘फिलहाल नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में ज्यादा दिख रहे हैं। दबाव का असर ही है कि पहली बार उनको गृह मंत्रालय छोड़ना पड़ा है। ऐसे में नंबर-1 पार्टी बनने से उसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा।’


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