नियमों के खिलाफ जा रहे कुछ देश…UNTCC सम्मेलन में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नियमों के खिलाफ जा रहे कुछ देश…UNTCC सम्मेलन में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

संयुक्त राष्ट्र सैनिक योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों का सम्मेलन 2025 का औपचारिक उद्घाटन मंगलवार को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में हुआ, जो अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापना विचार-विमर्श में एक ऐतिहासिक क्षण था. भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 32 सैनिक योगदानकर्ता देशों के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.

इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं जबकि कई अन्य देश अपने खुद के मानदंड बनाना चाहते हैं और अगली सदी में वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को कायम रखने में मजबूती से खड़ा है.

सम्मेलन में इन लोगों ने भी की शिरकत

बता दें कि इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, शांति अभियानों के अवर महासचिव (यूएसजी, डीपीओ) जीन पियरे लैक्रोइक्स, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश, वरिष्ठ सेवारत अधिकारी और नौकरशाह अन्य विशिष्ट आमंत्रित लोगों ने शिरकत की.

वैश्विक नियमों का उल्लंघन कर रहे कुछ देश: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने कहा कि आजकल कुछ देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, कुछ इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अपने स्वयं के नियम बनाना चाहते हैं और अगली सदी पर हावी होना चाहते हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि इन सबके बीच, भारत पुरानी पड़ चुकी अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए, अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मज़बूती से कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत महात्मा गांधी की भूमि है, जहां शांति हमारे अहिंसा और सत्य के दर्शन में गहराई से समाहित है.

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के लिए शांति का मतलब केवल युद्ध का अभाव नहीं था, बल्कि न्याय, सद्भाव और नैतिक शक्ति की सकारात्मक स्थिति थी. रक्षा मंत्री ने उभरती चुनौतियों से निपटने और वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में योगदान देने वाले देशों के लिए 4सी फॉर्मूला भी प्रस्तावित किया.

हाइब्रिड युद्ध और गलत सूचना का संकट

सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिक भेजने वाले राष्ट्रों को एक ऐसा ढांचा तैयार करना होगा जो सशक्त और त्वरित प्रतिक्रिया वाला हो. उन्होंने कहा कि साथ ही संचालन में उन्नत प्रौद्योगिकियों को भी एकीकृत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों को अनेक कारणों से अभूतपूर्व जटिलताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें देश से इतर तत्वों का बढ़ता प्रभाव, हाइब्रिड युद्ध और गलत सूचना का संकट शामिल है.

इस संदर्भ में, सेना प्रमुख ने प्रशिक्षण और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र सहित सैन्य योगदान देने वाले देशों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण की वकालत की. जनरल द्विवेदी संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैनिक भेजने वाले देशों के सैन्य प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में 32 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

जनरल ने कहा कि आज शांति स्थापना को इतनी बड़ी और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो पहले कभी नहीं देखी गईं. वैश्विक व्यवस्था लगभग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें 56 से अधिक सक्रिय संघर्ष और लगभग 90 राष्ट्रों की भागीदारी है. उन्होंने कहा कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का प्रसार, देश से इतर तत्वों का बढ़ता प्रभाव, हाइब्रिड युद्ध और गलत सूचना के प्रकोप ने संघर्ष की पारंपरिक सीमाओं को धुंधला कर दिया है.

भारत के नेतृत्व की सराहना

संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान विभाग (डीपीओ) के अवर महासचिव जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया और इसके आयोजन में भारत के नेतृत्व की सराहना की. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मिशनों की विश्वसनीयता और स्थिरता को मजबूत करने में सैन्य योगदान देने वाले देशों के महत्व पर जोर दिया.

संयुक्त राष्ट्र टीसीसी प्रमुखों का सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने शांति स्थापना का भविष्य: सामूहिक सुरक्षा पर एक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र टीसीसी प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित किया और 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र मिशनों में लगभग 3,00,000 सैनिकों की भारत की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. भारत की ‘कोई राष्ट्रीय चेतावनी नहीं’ नीति पर जोर देते हुए उन्होंने शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही का आह्वान किया और महिलाओं के योगदान की सराहना की, तथा लाइबेरिया में भारत की पूर्ण महिला पुलिस टुकड़ी को एक मील का पत्थर बताया.

इस दिन संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए आगे का रास्ता विषय पर केंद्रित तीन पूर्ण सत्र आयोजित किए गए. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने अपने राष्ट्रीय दृष्टिकोण, संचालन संबंधी अनुभव और मिशन की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सुझाव साझा किए. वक्ताओं ने सामूहिक रूप से समावेशिता, बेहतर अंतर-संचालनीयता, नवीन प्रशिक्षण पद्धतियों और उभरती टेक्नोलॉजी के ज़िम्मेदाराना उपयोग का आह्वान किया.

बाद में, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मानेकशॉ सेंटर में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और वियतनाम के सेना प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला में भाग लिया. एक दिन पहले, जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने फ्रांस, मंगोलिया, उरुग्वे, श्रीलंका और भूटान के सेना प्रमुखों के साथ बैठक की थी. प्रत्येक बैठक में थल सेना प्रमुख ने रक्षा सहयोग को मजबूत करने और भविष्य के शांति अभियानों में समन्वय बढ़ाने पर केंद्रित चर्चा की.

इटली और आर्मेनिया के साथ द्विपक्षीय बैठक

इन बैठकों ने वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में कॉन्क्लेव की संवाद, साझेदारी और साझा जिम्मेदारी की भावना को मजबूत किया. थल सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने भी इटली और आर्मेनिया के प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिससे भारत के सहयोगी सुरक्षा, क्षमता विकास और मित्र देशों के साथ साझेदारी पर जोर दिया गया. चर्चाओं में इस बात पर जोर दिया गया कि शांति स्थापना को अनुकूलनीय, तकनीकी रूप से सक्षम तथा सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांतों पर दृढ़तापूर्वक आधारित रहना चाहिए.

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