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नितिन नबीन-पवन सिंह जाएंगे राज्यसभा:कुशवाहा की छुट्‌टी तय, चिराग मां के लिए जुटा रहे 22 विधायक, 3 महीने बाद 5 सीटों पर चुनाव

बिहार में राज्यसभा चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। चुनाव अभी 3 महीने दूर है, लेकिन सियासी गलियारे में गुणा-गणित का दौर अभी से जारी है। सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम की हो रही है, वो है दिवंगत रामविलास पासवान की पत्नी और LJP(R) सुप्रीमो चिराग पासवान की मां रीना पासवान की। उपेंद्र कुशवाहा का एक बार फिर से राज्यसभा में रिपीट होना मुश्किल लग रहा है। वहीं, हाल में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने नितिन नबीन का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है। स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए, 3 महीने बाद 5 सीटों पर होने वाले चुनाव का गुणा-गणित… 9 अप्रैल 2026 को बिहार से राज्यसभा की 5 सीटें खाली हो रही हैं। जिन 5 नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें RJD के प्रेम चंद गुप्ता, एडी सिंह, JDU के हरिवंश नारायण, रामनाथ ठाकुर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। ‌BJP-JDU के हिस्से में 2-2 सीटें फाइनल राज्यसभा चुनाव में 1 सीट के लिए इस बार कम से कम 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। दरअसल इसके लिए फॉर्मूला ये है कि जितनी सीटों पर चुनाव होना है, उनमें एक जोड़कर इसे विधानसभा की कुल सीटों से डिवाइड किया जाता है। इस लिहाज से विधानसभा की कुल 243 सीटों को 6 से भाग दिया जाए तो 40.5 आता है यानि कि 41 विधायक। इस नंबर के लिहाज से राजद के लिए अपने एक नेता को भी राज्यसभा भेजना मुश्किल होगा। जदयू के पास 85 विधायक हैं, यानी वो अपनी दो सीटें बचा लेंगी। बीजेपी के पास 89 विधायक हैं, ऐसे में राजद की दो सीटों पर बीजेपी अपने प्रत्याशी को जिताने में सफल रहेगी। भाजपा कोटे से नितिन नबीन का जाना तय, पवन भी रेस में पटना के बांकीपुर के विधायक व पूर्व मंत्री नितिन नबीन अब बीजेपी के शीर्ष नेता हैं। उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकारी अध्यक्ष बनने के दो दिन बाद उन्होंने बिहार कैबिनेट यानी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो अब वे विधायकी से इस्तीफा देकर राज्य की राजनीति को अलविदा कह सकते हैं। राज्य की जगह केंद्र की राजनीति में अपना मुकाम हासिल करेंगे। बीजेपी के प्रदेश स्तर के एक बड़े नेता ने भास्कर रिपोर्टर को बताया कि ये रिवाज रहा है कि जो लोकसभा या राज्यसभा में सांसद रहा हो, वही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विधायक हो, यह उसके कद के लिहाज से सही नहीं होगा। ऐसे में पार्टी नितिन नबीन को लोकसभा चुनाव लड़ाने से पहले राज्यसभा भेजकर उन्हें केंद्र की राजनीति में लॉन्च करेगी। पार्टी ऐसा पहले भी कर चुकी है। क्या भोजपुरी सिंगर पवन सिंह को भाजपा दे सकती है बड़ा इनाम? बीजेपी नेता फिलहाल इस सवाल को बहुत जल्द पूछा गया बता रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान पवन सिंह और बीजेपी का रिश्ता बिगड़ गया था। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वह भाजपा में शामिल हुए। पार्टी के लिए धुआंधार प्रचार किया। ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें कोई बड़ा पद देकर इनाम दे सकती है। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के सीनियर लीडर और सांसद मनोज तिवारी ने कहा था, ‘पवन सिंह के लिए सबकुछ तय है। हालांकि न पार्टी नेता और न पवन सिंह इस पर अभी तक कुछ भी स्पष्ट बोले हैं।’ जदयू कोटे में संशय बरकरार, रिपीट हो सकते हैं हरिवंश और ठाकुर जदयू के जिन दो नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर का नाम है। दोनों पार्टी के सीनियर लीडर हैं। नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। पार्टी की तरफ से दोनों को दो-दो बार राज्यसभा भेजा जा चुका है। नीतीश कुमार ने दो बार से ज्यादा किसी नेता को बहुत कम बार राज्यसभा भेजा है। ऐसे में अभी तक संशय बरकरार है, लेकिन बड़े पद पर होने और सीएम के करीबी होने के कारण चर्चा है कि इन्हें एक बार फिर से रिपीट किया जा सकता है। मां के लिए 1 सीट चाहते हैं चिराग, सहयोगी को मनाने के साथ विपक्ष को भी तोड़ना होगा मामला पांचवीं सीट पर फंस रहा है। इस सीट पर फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा सांसद हैं। उनके मात्र 4 विधायक हैं। बीजेपी उन्हें दोबारा रिपीट नहीं करेगी। NDA में बीजेपी और जदयू के बाद सबसे ज्यादा LJP(R) के पास 19 विधायक हैं। उन्हें 22 और विधायकों का सपोर्ट चाहिए। 4 सीटों पर अपने नेताओं को राज्यसभा भेजने के बाद NDA के 38 विधायक बचते हैं। यानि की जरूरी सीटों से 3 विधायक कम। यहां बिना क्रॉस वोटिंग के जीत संभव नहीं है। चिराग के लिए यही परीक्षा होगी। विधानसभा चुनाव के दौरान भी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दावा किया गया था कि वे अपनी मां के लिए राज्यसभा के एक सीट की डिमांड कर रहे है। उनका ये दावा अब भी बरकरार है। ऐसे में उन्हें अगर पांचवीं सीट ऑफर की जाती है तो न केवल एनडीए के साथियों को मनाना होगा, बल्कि विपक्षी खेमे से भी तीन विधायकों का जुगाड़ करना पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ खरमास बाद बिहार में कैबिनेट का विस्तार होना है। विधायकों की संख्या के लिहाज से चिराग की पार्टी कैबिनेट में तीसरे मंत्री पद पर भी दावा कर रही है। भीतर-खाने चर्चा इस बात की भी है कि अगर राज्यसभा की डिमांड करेंगे तो कैबिनेट को लेकर उनकी बारगेनिंग कमजोर हो सकती है। हालांकि आधिकारिक तौर पर चिराग कह चुके हैं कि गठबंधन में उन्हें मांगने से ज्यादा मिलता रहा है, ऐसे में उनकी बहुत ज्यादा डिमांड नहीं है। बेटे के खातिर उपेंद्र कुशवाहा का राज्यसभा में रिपीट होना मुश्किल लोकसभा चुनाव 2024 के समय उपेंद्र कुशवाहा से लोकसभा की एक सीट और विधान परिषद की एक सीट देने का वादा किया गया था। लोकसभा का चुनाव उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से लड़े, लेकिन हार गए। इसके लिए पवन सिंह फैक्टर को सबसे बड़ा कारण माना गया। इसके बाद डैमेज कंट्रोल के लिए उन्हें विधान परिषद भेजने की बात कही गई, लेकिन जदयू इसके लिए राजी नहीं हुई। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी की बातें सामने आईं। सामने विधानसभा चुनाव था, ऐसे में आनन-फानन में 2 जुलाई 2024 को सम्राट चौधरी ने बीजेपी की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजने की घोषणा की। इसके बाद विवेक ठाकुर की जगह इन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया था। अब विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने अपने बेटे को सीधे मंत्री बनाकर लॉन्च कर दिया है। मंगल पांडेय की जगह उनका विधान परिषद जाना तय माना जा रहा है। ऐसे में पत्नी विधायक, बेटा मंत्री और कुशवाहा को राज्यसभा भेजकर परिवारवाद को बढ़ावा देने की तोहमत से बीजेपी बचेगी। ये तय माना जा रहा है कि कुशवाहा अपने बेटे को जरूर सेट कर लिए, लेकिन अप्रैल बाद वे किसी सदन के सदस्य नहीं होंगे। तेजस्वी के नेतृत्व की परीक्षा के साथ महागठबंधन की एकजुटता भी आएगी सामने विपक्ष की सभी पार्टियों के विधायकों को मिला दें तो ये संख्या ठीक 41 होती है। यानि कि विपक्ष के सभी विधायक मिलकर 1 नेता को राज्यसभा भेज सकते हैं। विपक्ष में सबसे ज्यादा 25 विधायक राजद के हैं। इसके बाद 6 विधायक कांग्रेस के हैं। लेफ्ट के 3, आईआईपी के 1 हैं। AIMIM के 5 और BSP के 1 विधायक हैं। तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता हैं। इस लिहाज से वे अपने सहयोगियों को मना कर राजद के एक नेता को राज्यसभा भेज सकते हैं। 2030 तक राज्यसभा से साफ हो सकता है महागठबंधन विधानसभा चुनाव में करारी हार का खामियाजा महागठबंधन की पार्टियों को राज्यसभा में भी भुगतना पड़ सकता है। अगले विधानसभा चुनाव यानि 2030 तक राज्यसभा में महागठबंधन का सफाया हो सकता है। बिहार से कुल 16 राज्यसभा सीटों में से राजद के पास वर्तमान में पांच सीटें हैं और कांग्रेस के पास एक सीट है। 2026 के बाद बिहार से राज्यसभा का अगला चुनाव 2028 की शुरुआत में होगा। इसमें राजद के फैयाज अहमद, भाजपा के सतीश चंद्र दुबे, मनन कुमार मिश्रा और शंभू शरण पटेल के साथ जदयू के खीरू महतो का कार्यकाल सात जुलाई, 2028 को पूरा होगा। इसके बाद 2030 की शुरुआत में चुनाव होना है, तब बीजेपी के धर्मशीला गुप्ता, भीम सिंह और जदयू के संजय कुमार झा के साथ राजद के मनोज कुमार झा और संजय यादव के साथ कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद का कार्यकाल पूरा होगा। इन सभी चुनावों में महागठबंधन की हार तय मानी जा रही है, क्योंकि इनके पास जीत के लिए नंबर्स ही नहीं है।


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