नालंदा जिले में धान खरीदी को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार ने धान खरीद की प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिले की 83 समितियों में धान अधिप्राप्ति का काम शुरू हो चुका है, जबकि शेष चयनित समितियों को भी जल्द से जल्द खरीद प्रक्रिया आरंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। *दो चरणों में हुआ समितियों का चयन जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि जिले में कुल 270 समितियां हैं, जिनमें प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां (पैक्स) और व्यापार मंडल शामिल हैं। प्रथम जिला टास्क फोर्स की बैठक में 156 समितियों का चयन किया गया, जबकि दूसरी बैठक में 48 समितियों को मंजूरी दी गई। इस प्रकार कुल 204 समितियां धान अधिप्राप्ति के लिए चयनित की गई हैं। 83 समितियों ने पहले ही धान खरीद का काम शुरू कर दिया है। बाकी समितियों से अपेक्षा की जा रही है कि वे जल्द ही किसानों से धान की खरीद आरंभ करें, ताकि कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य समय पर मिल सके। 43 हजार से अधिक किसानों ने कराया निबंधन जिले में अब तक कुल 43,680 किसानों ने धान बिक्री के लिए अपना निबंधन कराया है। इनमें 21,138 रैयत किसान और 22,542 गैर-रैयत किसान शामिल हैं। अब तक 2,350 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है, जिसके लिए 256 किसानों से धान लिया गया है। इनमें से 184 किसानों को उनका भुगतान भी प्राप्त हो चुका है। धान प्रसंस्करण के लिए जिले में 34 मिलों का निबंधन हुआ है, जिनमें 24 उसना और 10 अरवा चावल मिलें हैं। इनमें से 27 मिलों का सत्यापन पूरा हो चुका है, जिनमें 23 उसना और 4 अरवा मिलें शामिल हैं। पारदर्शिता और समयबद्धता जरूरी जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार ने कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी चयनित समितियों को अविलंब धान खरीद शुरू करनी होगी। किसानों का भुगतान निर्धारित समयसीमा के भीतर सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। अनियमितता पर सख्ती की चेतावनी जिला पदाधिकारी ने भंडारण व्यवस्था पर विशेष जोर देते हुए कहा कि समितियों द्वारा खरीदे गए धान का उचित भंडारण सुनिश्चित किया जाए। गोदामों में धान की स्टैकिंग इस प्रकार की जानी चाहिए कि भौतिक सत्यापन के समय कोई कठिनाई न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि गोदाम की क्षमता के अनुसार ही धान का भंडारण किया जाए, ताकि अनाज की बर्बादी और क्षति से बचा जा सके। मिलों के साथ समितियों की टैगिंग और रूट ऑप्टिमाइजेशन को लेकर भी जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मिलों की क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही उनके साथ समितियों का संबंध स्थापित किया जाए, जिससे प्रसंस्करण की प्रक्रिया सुगम हो। जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर कोई अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिला पदाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों और समितियों को निर्देश दिया है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ काम करें और किसानों के हित को सर्वोपरि रखें।
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