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नालंदा में 21 से 25 दिसंब तक लिटरेचर फेस्टिवल:पहले दिन नव नालंदा महाविहार का विशेष भ्रमण, विद्वानों से संवाद का अवसर मिलेगा

बिहार की धरती पर एक बार फिर ज्ञान का दीप जलने जा रहा है। जिस नालंदा ने कभी विश्व को शिक्षा और संवाद का केंद्र दिया था, वहीं अब 21 से 25 दिसंबर तक नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल (NLF) का पहला संस्करण आयोजित होने जा रहा है। यह महोत्सव केवल एक साहित्यिक आयोजन भर नहीं, बल्कि उस गौरवशाली ‘नालंदा स्पिरिट’ को पुनर्जीवित करने का एक सार्थक प्रयास है। 5 दिवसीय महोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है नव नालंदा महाविहार (NNM) के साथ इसकी साझेदारी। पालि भाषा, बौद्ध अध्ययन और प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपराओं को समर्पित यह प्रतिष्ठित डीम्ड यूनिवर्सिटी फेस्टिवल को एक ठोस अकादमिक आधार प्रदान कर रही है। यह सहयोग दर्शाता है कि आयोजकों की मंशा महज एक और साहित्यिक समारोह आयोजित करना नहीं, बल्कि बौद्धिक संवाद और बहू सांस्कृतिक विचार-विमर्श की उस परंपरा से जुड़ना है जो नालंदा की पहचान रही है। 23 दिसंबर को आयोजित होने वाला विशेष सत्र “Exploring Nalanda Spirit in the World” इस फेस्टिवल की धुरी है। नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह के संचालन में होने वाले इस सत्र में प्रसिद्ध कलाकार शोवना नारायण और वक्ता अखिलेंद्र मिश्रा भाग लेंगे। चर्चा का केंद्रीय विषय विश्व की विभिन्न भाषाओं और साहित्यिक परंपराओं में नालंदा स्पिरिट की अभिव्यक्ति होगा। कहानी-कथन, भाषा, प्रस्तुति और सांस्कृतिक माध्यमों से कैसे आज भी ज्ञान-साझाकरण और रचनात्मकता के वे सार्वभौमिक मूल्य जीवित हैं जिन्हें नालंदा ने स्थापित किया था, यही इस विमर्श का सार होगा। श्येनज़ांग की विरासत को सम्मान फेस्टिवल के पहले दिन, 21 दिसंबर को चयनित प्रतिनिधियों के लिए नव नालंदा महाविहार का विशेष भ्रमण आयोजित किया जाएगा। इस दौरान प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय परिसर देखने और विद्वानों से संवाद का अवसर मिलेगा। भ्रमण का मुख्य आकर्षण श्येनज़ांग मेमोरियल कैंपस होगा। चीनी बौद्ध भिक्षु और विद्वान श्येनज़ांग की स्मृति में बना यह परिसर भारत और पूर्वी एशिया के बीच सदियों पुराने ज्ञान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है। यह याद दिलाता है कि नालंदा कभी केवल एक स्थानीय शिक्षा केंद्र नहीं, बल्कि एक वैश्विक ज्ञान-तीर्थ था। बिहार की सांस्कृतिक धरोहर भी होगी प्रस्तुत साहित्य और शिक्षा के साथ-साथ फेस्टिवल में बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को भी स्थान मिलेगा। प्रसिद्ध लोकगायिका रेखा झा और उनकी “बिहार एक विरासत” टीम की ओर से विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा, जो इस आयोजन को स्थानीय रंग में रंग देगा। फेस्टिवल के आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि इसमें साहित्यिक चर्चाओं, संवाद सत्रों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ युवाओं की सक्रिय भागीदारी भी होगी। ज्ञान आधारित अनुभवों का यह समृद्ध समागम भारत की सीखने की महान परंपरा से प्रेरित होगा। इच्छुक साहित्य प्रेमी और प्रतिभागी अब NLF की वेबसाइट और BookMyShow के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं। टिकट भी इन्हीं प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।


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