नालंदा में 106 केंद्रों पर आयोजित बुनियादी साक्षरता महापरीक्षा में महादलित, दलित और अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग की 15 से 45 वर्ष की नवसाक्षर महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कभी अपना नाम तक नहीं लिख पाने वाली महिलाएं आज कलम थामकर परीक्षा देती नजर आईं। महापरीक्षा की सबसे खास बात यह रही कि इसमें किसी भी परीक्षार्थी को फेल नहीं किया जाएगा। महिलाओं के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें ग्रेड (श्रेणी) दिया जाएगा। परीक्षा की प्रक्रिया यहीं खत्म नहीं होगी। उत्तर पुस्तिकाओं की जांच संकुल संसाधन केंद्रों में शिक्षकों द्वारा की जाएगी, जिसे 12 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद 15 दिसंबर तक रिजल्ट का कंप्यूटराइजेशन कर निदेशालय भेजा जाएगा। अंत में, 26 दिसंबर को एक भव्य समारोह में सफल नवसाक्षर महिलाओं को साक्षरता का प्रमाण पत्र सौंपकर सम्मानित किया जाएगा। अब अंगूठा नहीं, दस्तखत करती हैं महिलाएं मध्य विद्यालय राणा बिगहा केंद्र पर परीक्षा का जायजा लेने के दौरान उत्साहजनक तस्वीरें सामने आईं। शिक्षा सेवक मुन्ना मांझी ने बताया कि यह परीक्षा उन महिलाओं के लिए है जो शिक्षा से वंचित थीं और अपना नाम तक नहीं जानती थीं। आज मुख्यमंत्री जी की सोच धरातल पर उतर रही है। साक्षरता केंद्रों पर अब निरक्षर महिलाओं की संख्या लगभग समाप्त होने को है। अब हमारा जोर इनके बच्चों की शिक्षा पर है। हिसाब-किताब में अब नहीं होगी दिक्कत परीक्षा देने आई महिलाओं के लिए यह सिर्फ एक इम्तिहान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम था। किंतू देवी ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि साक्षर होने के बाद वे अपने बच्चों की पढ़ाई पर बेहतर ध्यान दे पाएंगी।
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