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नालंदा में समितियों की मनमानी से धान खरीदी ठप पड़ी:156 में से सिर्फ 50 कमिटी एक्टिव, सरकारी रेट 2369 रुपए प्रति क्विंटल

नालंदा में धान खरीद की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। चयनित समितियों को कैश क्रेडिट मिलने और जिले में 40 फीसदी धान की कटनी पूरी होने के बावजूद खरीद प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। समितियों की लापरवाही और प्रशासनिक खामियों की वजह से अन्नदाता किसान अपनी उपज बेचने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। नौ दिन में सिर्फ 113 किसानों से खरीद धान खरीद की प्रक्रिया शुरू हुए नौ दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक महज 113 किसानों से 1070 टन धान की खरीद हो सकी है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। खासकर तब जब 23 हजार से अधिक किसान सरकारी दर पर धान बेचने के लिए निबंधन करा चुके हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि कतरीसराय और सिलाव प्रखंड में एक भी समिति ने अब तक धान खरीद शुरू नहीं की है। जबकि इन क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में किसानों ने कटाई पूरी कर ली है। 156 में से सिर्फ 50 समितियां एक्टिव इस बार धान खरीद के लिए 143 पैक्स और 13 व्यापार मंडलों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पिछले साल की तुलना में यह संख्या काफी कम है। 2023 में 213 समितियों का चयन किया गया था, लेकिन चयनित 156 समितियों में से भी मात्र 50 ही धान खरीद कर रही हैं। बाकी समितियां कैश क्रेडिट मिलने के बावजूद खरीद में कोई रुचि नहीं दिखा रही है। मजबूरी में घाटे में धान बेच रहे किसान सरकार ने सामान्य धान का समर्थन मूल्य 2369 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। लेकिन बाजार में व्यापारी 1700 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं। रबी की बुआई का सीजन चल रहा है और किसानों को खेती शुरू करने के लिए पूंजी की सख्त जरूरत है। इस लाचारी में उन्हें प्रति क्विंटल 500 से 550 रुपए का नुकसान उठाकर व्यापारियों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है। तीन प्रखंडों में मात्र तीन किसानों से खरीद खरीद की स्थिति कितनी दयनीय है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्थावां में सिर्फ एक किसान से पांच टन, बिंद में एक किसान से 0.500 टन और राजगीर में एक किसान से 15 टन धान खरीदी गई है। सरमेरा, एकंगरसराय और रहुई में दो-दो किसानों से तो करायपरसुराय और इस्लामपुर में तीन-तीन किसानों से ही खरीद की गई है। यह खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं है। नूरसराय सबसे आगे, बिंद सबसे पीछे सहकारिता विभाग की रिपोर्ट के अनुसार धान खरीद में नूरसराय प्रखंड सबसे आगे है, जहां 11 किसानों से करीब 145 टन धान खरीदी गई है। दूसरे स्थान पर चंडी है जहां 29 किसानों से 252 टन धान खरीदी गई। हिलसा में 11 किसानों से 93 टन खरीद के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं, बिंद में सबसे कम खरीद हुई है। प्रशासन से मिला आश्वासन जिला सहकारिता पदाधिकारी धर्मनाथ प्रसाद का कहना है कि सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों को समितियों से मिलकर धान खरीद में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। उनका कहना है कि किसानों को उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि प्रशासनिक आश्वासनों और समितियों की कार्यशैली में जमीन-आसमान का फर्क है। अन्नदाता की मेहनत की कमाई उसे उचित दाम पर नहीं मिल पा रही है और यह व्यवस्था की बड़ी विफलता है।


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