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नालंदा में बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए क्रैश कोर्स:प्रखंड-जिला स्तर पर अनुश्रवण दल का गठन, तीन स्तरीय निगरानी की व्यवस्था

बिहार बोर्ड की मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्रों के लिए क्रैश कोर्स कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन ने प्रखंड-जिला स्तर पर अनुश्रवण दल का गठन किया है। जिलाधिकारी कुंदन कुमार के निर्देश पर समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) ने यह कदम उठाया है, ताकि क्रैश कोर्स का संचालन सुचारू रूप से हो सके। जिले के सभी उच्च विद्यालयों में उन्नयन स्मार्ट लाइव क्लासेज के माध्यम से ऑनलाइन क्रैश कोर्स चलाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्र-छात्राओं को कठिन विषयों और प्रश्नों को समझने में मदद करना है। समग्र शिक्षा के डीपीओ मो. शाहनवाज ने बताया कि इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए बहुस्तरीय निगरानी व्यवस्था लागू की गई है। तीन स्तरीय निगरानी व्यवस्था प्रखंडवार अनुश्रवण दल में स्मार्ट क्लास से जुड़े शिक्षकों को प्रखंड नोडल और सब नोडल शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है। सब नोडल शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रतिदिन अपने टैग किए गए विद्यालयों में जाकर प्राचार्य और स्कूल के नोडल शिक्षक द्वारा मोबाइल फोन के माध्यम से संचालित स्मार्ट लाइव क्लासेज का निरीक्षण करें। प्रखंड नोडल शिक्षकों को सब नोडल शिक्षकों से संपर्क कर प्रखंड के सभी विद्यालयों की स्थिति गूगल शीट पर अपडेट करने का आदेश दिया गया है। लापरवाही बरतने पर विद्यालय के प्राचार्य और नोडल शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। छात्रों का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि जिले के उच्च विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति प्राथमिक विद्यालयों की तुलना में काफी कम रहती है। यह समस्या लंबे समय से विद्यमान है। जिले में करीब 88 प्लस टू विद्यालय ऐसे हैं जहां पर्याप्त कक्ष कक्षों का अभाव है। हालांकि, शिक्षकों की पदस्थापना की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है। जिला शिक्षा कार्यालय के पास वर्तमान में प्रतिदिन हाईस्कूलों में आने वाले विद्यार्थियों का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जो चिंता का विषय है। जागरूकता अभियान की मुहिम क्रैश कोर्स को सफल बनाने के लिए स्कूल प्रशासन की ओर से व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कई स्थानों पर घर-घर जाकर (डोर-टू-डोर) तो कहीं अन्य माध्यमों से अभिभावकों और विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम के लाभ के बारे में बताया जा रहा है। उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक छात्र इस कार्यक्रम का लाभ उठा सकें और शिक्षकों की निगरानी में जटिल प्रश्नों को आसानी से हल करना सीख सकें।


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