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नालंदा जिले में 74 लाख के घोटाले की आशंका:15 शिक्षकों का वेतन रोका गया, सबसे अधिक एकंगरसराय के 5 स्कूलों ने नहीं दिया हिसाब

नालंदा जिले में शिक्षा विभाग में वित्तीय घोटाला सामने आया है। प्री-फैब स्ट्रक्चर निर्माण के नाम पर मिली 74 लाख 85 हजार रुपए की राशि का हिसाब न देने वाले 15 स्कूलों के प्रिंसिपल और प्रभारी प्रिंसिपल का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। इतना ही नहीं, इन शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है। योजना एवं लेखा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) की ओर से स्थापना के डीपीओ को भेजे गए पत्र में इन शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्री-फैब स्ट्रक्चर निर्माण के लिए प्रत्येक चयनित विद्यालय को पांच लाख रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई थी। दो साल बाद भी नहीं मिला उपयोगिता प्रमाण पत्र चौंकाने वाली बात यह है कि दो साल बीत जाने के बावजूद इन 15 स्कूलों ने न तो किए गए कार्य का कोई ब्योरा दिया और न ही उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा किया। विभाग द्वारा बार-बार पत्र भेजे गए, फोन किए गए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी आदेश दिए गए, लेकिन संबंधित शिक्षकों ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इन 15 स्कूलों में से 14 के पास पांच-पांच लाख रुपए यानी कुल 70 लाख का हिसाब बाकी है, जबकि एक स्कूल के प्रधानाध्यापक के पास चार लाख 85 हजार रुपए का लेखा-जोखा लंबित है। इस तरह कुल मिलाकर 74 लाख 85 हजार रुपए का मामला है। एकंगरसराय में सबसे ज्यादा मामले जिले में सबसे अधिक पांच मामले एकंगरसराय प्रखंड के स्कूलों से जुड़े हैं, जहां कुल 25 लाख रुपए का हिसाब नहीं दिया गया है। इससे यह आशंका हो रही है कि कहीं यह राशि गबन तो नहीं कर ली गई। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का भी मानना है कि इतने लंबे समय तक उपयोगिता प्रमाण पत्र न देना वित्तीय घोटाले की ओर इशारा करता है। गंभीर लापरवाही और अनुशासनहीनता डीपीओ ने अपने पत्र में साफ तौर पर कहा है कि संबंधित विद्यालयों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करना वित्तीय अनियमितता, स्वेच्छाचारिता, उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना और कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही को दर्शाता है। इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित शिक्षकों का वेतन तुरंत रोकने और उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। यह भी गौर करने वाली बात है कि विभाग ने भी इस मामले को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितना लेना चाहिए था। दो साल तक लगातार उपयोगिता प्रमाण पत्र न मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब जाकर मामला सामने आया है। स्कूलों की लिस्ट जिन विद्यालयों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है, उनमें दबई बिगहा मध्य विद्यालय, बेन उच्च विद्यालय, दयालपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय, चन्दापुर प्राथमिक विद्यालय, धुरगांव उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बदराबाद उत्क्रमित मध्य विद्यालय, केशोपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय, जमुआवां उत्क्रमित मध्य विद्यालय, इसुआ उत्क्रमित मध्य विद्यालय, नवसृजित विद्यालय डॉ. इंग्लिश, केल्हुआ मध्य विद्यालय, कुंदी उच्च विद्यालय और हरिजन टोला प्यारेपुर प्राथमिक विद्यालय शामिल है।


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