नालंदा में नगरनौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संस्थागत प्रसव के नाम पर चल रही अवैध वसूली का मामला सामने आया है। गृह प्रसव मुक्त भारत का सपना देखने वाली सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही हैं। गुरुवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगरनौसा के 20 सूत्री अध्यक्ष सतीशचंद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष अभय नंदन पांडेय, सदस्य कुशरेंद्र प्रसाद और चंदन चौधरी द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। केसौर गांव से प्रसव कराने आई सोनी कुमारी के परिवार से एएनएम की ओर से 600 रुपए, ममता की ओ से 100 रुपए और आशा कार्यकर्ता की ओर से 100 रुपए की अवैध वसूली की गई। अमानवीय व्यवहार की भी शिकायत सोनी कुमारी को बुधवार को भर्ती किया गया था, लेकिन उसे न तो कंबल दिया गया और न ही नाश्ता या भोजन की कोई व्यवस्था की गई। जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव पूरी तरह निशुल्क है। साथ ही प्रसूताओं को मुफ्त दवा, भोजन और परिवहन की सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए। लेकिन नगरनौसा पीएचसी में सरकारी निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शिकायत के बाद भी खानापूर्ति चिंताजनक बात यह है कि शिकायतों के बाद भी जांच केवल खानापूर्ति तक सीमित रह जाती है। इसी कारण लेबर रूम में काम करने वाले कर्मियों का हौसला बुलंद है और वे निर्भीक होकर अवैध वसूली करते रहते हैं। प्रशासन की सफाई नगरनौसा पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर धनेश कुमार ने इस मामले की जानकारी न होने की बात कहते हुए कहा कि यदि ऐसी कोई बात है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मामले को देखने का आश्वासन दिया है।
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