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नवजात खरीद-बिक्री मामले में ग्रामीण डॉक्टर समेत 3 गिरफ्तार:अगिआंव पीएचसी के बाहर रची गई थी साजिश, झारखंड की महिला को चार लाख में बेचा था

भोजपुर पुलिस ने नवजात खरीद-बिक्री मामले में ग्रामीण चिकित्सक समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अब तक बच्चे की बरामदगी नहीं हो सकी है। अगिआंव पीएचसी के बाहर साजिश रची गई थी। झारखंड की एक महिला को चार लाख में बेचा था। घटना गड़हनी थाना क्षेत्र की है। गिरफ्तार आरोपियों में रोहतास के सूर्यपुरा थाना क्षेत्र के हुकाडीह गांव निवासी ग्रामीण चिकित्सक अरविंद उर्फ हरिशंकर पंडित, भोजपुर के अंधारी बाग निवासी बंटी कुमार और औरंगाबाद के विसंभरपुर गांव का संदीप कुमार शामिल है। पुलिस के अनुसार अरविंद पीरो और दिनारा में निजी क्लिनिक चलाता था। जबकि संदीप औरंगाबाद के गोह में नर्सिंग होम का संचालन करता है। बंटी कुमार पीरो में निजी क्लिनिक में काम करता है। पुलिस छापेमारी कर रही है पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि नवजात शिशु को चार लाख रुपए में झारखंड के रामगढ़ की एक महिला को बेचा गया है। गड़हनी थानाध्यक्ष कमलजीत ने बताया कि पहले ग्रामीण चिकित्सक अरविंद को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उसके दोनों सहयोगियों को पीरो और औरंगाबाद से पकड़ा। संदिग्ध महिला की पहचान कर ली गई है। बच्चे की बरामदगी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। इस मामले में पुलिस पहले ही नारायणपुर निवासी सास क्रिंता देवी, पति पंकज रवानी, पड़ोसी कविता देवी, कविता की रिश्तेदार होमगार्ड जवान चांदनी शर्मा और चिकित्सक की सहयोगी नर्स प्रीति कुमारी को गिरफ्तार कर चुकी है। सास के पास से 49 हजार रुपए भी बरामद किए गए थे। पुलिस का कहना है कि इस पूरे नेटवर्क के अन्य कड़ियों की भी जांच की जा रही है। घर पहुंचने पर सास ने कहा कि बच्चे को दूसरे को दे दिया जानकारी के मुताबिक, नारायणपुर थाना क्षेत्र के नारायणपुर गांव के रहने वाले चितरंजन कुमार की पत्नी खुशबू को 7 दिसंबर को डिलीवरी के लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर में एडमिट कराया गया था। 7 दिसंबर को डिलीवरी के बाद खुशबू की सास ने नवजात का तत्काल सौदा कर दिया। हालांकि, खुशबू को इस बारे में भनक तक नहीं लगी। खुशबू ने भास्कर से बातचीत करते हुए बताया कि डिलीवरी के बाद मेरी हालत ठीक नहीं थी, मैं बदहवास थी। मेरी सास ने मुझे कहा कि चलो घर चलते हैं। फिर मैं अस्पताल से बाहर निकली। मेरी सास क्रिंता देवी के साथ पड़ोसी कविता देवी भी थी। मुझे एक अलग ऑटो में बैठाया गया। सास और कविता देवी दूसरी ऑटो में बैठी थी। मैंने देखा कि पीछे से होमगार्ड कर्मी चांदनी शर्मा ऑटो से आई और फिर कविता आंटी ने मेरे बच्चे को चांदनी शर्मा को सौंप दिया। मुझे लगा कि मेरे बच्चे की तबीयत खराब होगी, इसलिए इलाज के लिए ले जा रहे होंगे। जब मैं घर आई और सास से पूछा कि मेरा बच्चा कहां है, तो सास ने जवाब दिया कि बेटी हुई थी, उसे दूसरे को दे दिया है, हम लोग पालन पोषण नहीं कर पाते। मैंने इसका विरोध किया तो सास ने मुझे घर में कैद कर लिया। 13 दिसंबर को किसी तरह घर से निकलकर SP ऑफिस पहुंची खुशबू ने बताया कि जब मुझे पड़ोसियों से पता चला कि मेरा बेटा हुआ था और साजिश के तहत मेरी सास ने बच्चे को 50 हजार रुपए में बेच दिया है, तो मैं 13 दिसंबर को किसी तरह घर से निकलकर भागी। ऑटो में बैठकर एसपी ऑफिस पहुंची। यहां एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा कि किसी वकील से आवेदन लिखवा लीजिए। फिर मैं कचहरी गई, एक वकील से आवेदन लिखवाकर थाने पहुंची और शिकायत दर्ज कराई। मेरी सास समेत कुछ लोग गिरफ्तार तो हुए हैं, लेकिन मेरा बच्चा मुझे नहीं मिल रहा है।


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