पश्चिम चंपारण के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक नवजात शिशु को हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ एक वार्ड से दूसरे वार्ड ले जाते हुए दिखाया गया है। वीडियो में एक महिला नवजात को गोद में लिए चल रही है, जबकि उसके बगल में एक युवक हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर पकड़े हुए है, जिससे बच्चे को ऑक्सीजन दी जा रही है। करोड़ों रुपए खर्च कर भी सुविधाओं से वंचित यह घटना जिले के प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में प्रशासनिक कुव्यवस्था, संसाधनों की कमी और लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। करोड़ों रुपए खर्च कर आधुनिक सुविधाओं और सुरक्षित ट्रांसपोर्ट सिस्टम का दावा करने वाले अस्पताल प्रशासन की हकीकत इस दृश्य ने उजागर कर दी है। संवेदनशील वार्ड में भर्ती नवजात को स्ट्रेचर, वार्मर बेड या ट्रॉली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न कराना अस्पताल की लचर व्यवस्था को दर्शाता है। अस्पताल प्रशासन के प्रति आक्रोश स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नवजात ज्योगिया टोला गांव के एक परिवार से संबंधित है। इस घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में अस्पताल प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश है। लोगों का आरोप है कि अस्पताल में ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। दो दिन पहले ही एक प्रसूता की मौत के बाद अस्पताल परिसर में हंगामा हुआ था, फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल में सवाल पूछने पर परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और पत्रकारों को भी अंदर जाने से रोका जाता है। वीडियो बनाने वालों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें भी मिली हैं। मामलों को दबाने का प्रयास कर रहा अस्पताल प्रशासन स्थानीय निवासियों का कहना है कि लगातार सामने आ रहे ऐसे वीडियो यह दर्शाते हैं कि अस्पताल प्रशासन व्यवस्था सुधारने की बजाय मामलों को दबाने का प्रयास कर रहा है। फिलहाल जनता अस्पताल प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग कर रही है।
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