गोरखपुर नगर निगम ने तीन साल पहले करीब 100 हैंडकार्ट खरीदे थे, हर एक की कीमत ₹18000 थी, लेकिन आज तक इन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया और कई खस्ताहाल हो चुके हैं. ये प्रोजेक्ट किशोरियों को रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन फ्लॉप साबित हुआ. पार्षदों ने पैसे की बर्बादी का आरोप लगाया. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि कुछ गाड़ियां तंग गलियों में इस्तेमाल हुईं, बाकी बफर के तौर पर हैं, और इन्हें अभी OLX पर बेचने का कोई इरादा नहीं है.
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