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नए साल के पहले 300 मजदूरों पर रोजीरोटी का संकट:बक्सर में इथेनॉल आवंटन में कटौती, नावानगर प्लांट बंद; 300 मजदूर घर भेजे गए

बक्सर के नावानगर में स्थित इथेनॉल प्लांट केंद्र सरकार की इथेनॉल नीति में बदलाव के कारण बंद हो गया है। इथेनॉल आवंटन में भारी कटौती के बाद प्लांट को बंद करने का निर्णय लिया गया, जिससे लगभग 300 मजदूरों को घर भेज दिया गया है। इस फैसले के बाद मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यह प्लांट ऐसे समय बंद हुआ है जब सरकार जिले को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की बात कर रही है। नावानगर में 109 करोड़ रुपए की लागत से 125 एकड़ क्षेत्र में इकोनॉमिक ज़ोन विकसित करने की योजना भी चल रही है। हालांकि, नीतिगत अस्थिरता निवेशकों के भरोसे को प्रभावित कर रही है। 365 दिनों में से लगभग 202 दिनों तक बंद रहने की आशंका पहले ही जताई प्लांट के सीएमडी अजय कुमार सिंह ने मंगलवार सुबह 8 बजे घोषणा की कि इथेनॉल आवंटन में कटौती के कारण प्लांट को डेढ़ महीने के लिए बंद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को घर बैठाकर पूरा वेतन देना संभव नहीं है। सीएमडी के अनुसार, नई नीति के तहत प्लांट के 365 दिनों में से लगभग 202 दिनों तक बंद रहने की आशंका पहले ही जताई गई थी, जो अब सच साबित हो रही है। यह विवाद इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए जारी वार्षिक इथेनॉल टेंडर से संबंधित है। इस टेंडर में डेडीकेटेड इथेनॉल प्लांट्स (डीईपी) के आवंटन में भारी कटौती की गई है। नावानगर स्थित कंपनी का दावा है कि उसका प्लांट ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के साथ 10 साल के लॉन्ग टर्म ऑफटेक एग्रीमेंट पर आधारित है। कंपनी का कहना है कि नए टेंडर में डीईपी प्लांट्स को प्राथमिकता सूची में तीसरे स्थान पर रखना अनुचित है और समझौते की भावना के भी खिलाफ है। कोऑपरेटिव शुगर मिल्स को पहली प्राथमिकता दी गई नई नीति में कोऑपरेटिव शुगर मिल्स को पहली प्राथमिकता दी गई है, साथ ही यह शर्त भी जोड़ दी गई है कि 40 प्रतिशत उत्पादन एफसीआई चावल से किया जाए। कंपनी का कहना है कि यह शर्त पहले से किए गए समझौते में कहीं शामिल नहीं थी। इसका नतीजा यह हुआ कि 36,500 केएल की स्थापित क्षमता के मुकाबले कंपनी को केवल 16,299 केएल का ही ऑर्डर मिला। इसी कारण उत्पादन रोकना पड़ा। प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री और बिहार सरकार को भी भेजी कंपनी ने इस फैसले के खिलाफ वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा है, जिसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री और बिहार सरकार को भी भेजी गई है। भारत प्लस कंपनी ने 2025-26 के लिए कम से कम 33,000 केएल आवंटन की मांग की है, ताकि प्लांट सुचारू रूप से चल सके और रोजगार पर संकट न आए। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नावानगर दौरे के दौरान सीएमडी अजय कुमार सिंह ने इस समस्या से उन्हें अवगत कराया था। सीएमडी के अनुसार, बिहार सरकार इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में है और स्थायी समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। बक्सर में इस मुद्दे को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म इधर, बक्सर में इस मुद्दे को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। वरिष्ठ पत्रकार कंचन किशोर ने लिखा है कि बिहार में इथेनॉल प्लांट को औद्योगिक विकास का मॉडल बताया गया था, लेकिन नीतिगत खामियाजे का असर अब उद्योग और मजदूर दोनों भुगत रहे हैं। यदि जल्द विचार नहीं हुआ, तो यह शाहाबाद के उद्योग जगत के लिए बड़ा झटका साबित होगा। नए साल से पहले 300 मजदूरों का घर भेजा जाना इन दावों और हकीकत के बीच गहरे अंतर को उजागर करता है।


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