भास्कर न्यूज | बक्सर जिले में पिछले 3 दिनों से पड़ रही भीषण ठंड ने दिनचर्या को प्रभावित कर दिया है। शनिवार को धुंध, बादल और गलन भरी पछुआ हवा ने लोगों को दिन भर सताया। दिनभर सर्द हवा चलती रही, जिससे ठिठुरन बढ़ गई। लोग कांपते नजर आए। आसमान में दिनभर बादल और हल्के कोहरे की चादर तनी रही। दिनभर धूप नहीं खिली। अचानक बढ़ी ठंड के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त नजर आया। 5 दिन पहले सुबह-शाम लोगों को सर्दी का एहसास हो रहा था। दिन में धूप खिलने के कारण ठंड गायब हो जा रही थी। लोग स्वेटर और जैकेट उतार दे रहे थे। दिन में कोहरा भी नहीं पड़ रहा था। सुबह सात बजे तक धूप निकल जा रही थी। लेकिन अब ठंड ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया है। अचानक बढ़ी गलन से लोगों का बुरा हाल था। लोगों को लगा कि कुछ देर बाद कोहरा छंट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आसमान में कोहरे के साथ धुंध की चादर तनी थी। बादलों ने भी डेरा जमा लिया था। धुंध, कोहरा और बादलों के बीच में भगवान सूर्य के दिनभर दर्शन नहीं हो सके। दिनभर पछुआ हवा लोगों के शरीर में तीर की तरह चुभती रही। गलन बढ़ने के कारण लोग परेशान नजर आए। बाहर निकलने के बाद कंपकपी छूट जा रही थी। तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। 8.5 डिग्री पहुंचा न्यूनतम तापमान : जिले में न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। ठंड के कारण फसल की वृद्धि नहीं हो रही है। आलू के फसल में जहां पाला मारने की संभावना अधिक है, वहीं अन्य फसलों पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता दिख रहा है। 23 दिसंबर तक आसमान साफ होने की संभावना मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के कारण अब मौसम तेजी से खराब हो गया है। सर्दी और तेज होगी। धीरे-धीरे शीतलहर का प्रकोप शुरू होगा। मकर संक्रांति तक मौसम ऐसे ही खराब रह सकता है। वहीं मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार 23 दिसंबर से आसमान साफ होने की संभावना है। हालांकि अधिकतम व न्यूनतम तापमान में कमी होने की संभावना है। अधिकतम तापमान 18 – 20 व न्यूनतम तापमान 9 -11डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। इससे ठंड दिन के साथ रात में भी बढ़ने की संभावना जताई गई है। ग्रामीण इलाकों में सरकारी अलाव नदारद एक तरफ प्रकृति का प्रकोप है, तो दूसरी तरफ प्रशासनिक उदासीनता ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नगर पंचायत और अंचल कार्यालय द्वारा अब तक चौक-चौराहों पर लकड़ी या अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आलम यह है कि हाड़ कपाने वाली इस ठंड से बचने के लिए सड़कों पर काम करने वाले मजदूर और राहगीर सड़कों से कूड़ा-कचरा और लकड़ियां चुनकर उन्हें जलाने को मजबूर हैं। ठंड इतनी है कि हाथ-पैर सुन्न हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन को ग्रामीण इलाकों के मुख्य बाजारों में आलाव की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि दैनिक मजदूरों, ठेला चालकों और राहगीरों को ठंड से लोगों को सुरक्षा मिल सके।
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