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धान के बाद गेहूं नहीं…खरबूज-तरबूज उगाते हैं बक्सर के अंकित:बिजनेस छोड़ मॉर्डन खेती से बनाई पहचान, ड्रिप एरिगेशन से पकड़ी समृद्धि की राह

बक्सर में कोविड काल में जब ड्राई फ्रूट का बिजनेस पूरी तरह चौपट हो गया, तब ग्रेजुएट अंकित सिंह ने खेती को ही अपना भविष्य बनाने का फैसला किया। गांव में मौजूद 12 एकड़ जमीन पर पारंपरिक खेती की जगह उन्होंने आधुनिक तकनीक और गैर-पारंपरिक फसलों का प्रयोग शुरू किया। आज बक्सर के राजपुर प्रखंड स्थित कोनौली गांव के युवा किसान अंकित सिंह न सिर्फ लाखों की आमदनी कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन चुके हैं। जमीन में ड्रिप एरिगेशन सिस्टम लगाया अंकित ने पूरी जमीन में ड्रिप एरिगेशन सिस्टम लगवाया है। डेढ़ एकड़ में नेट हाउस बनाकर हरी, लाल और पीली शिमला मिर्च, गोभी, खीरा समेत अन्य सब्जियों की नर्सरी और उत्पादन कर रहे हैं। नेट हाउस में रेज्ड बेड तैयार कर प्लास्टिक मलचिंग के जरिए वैज्ञानिक तरीके से नर्सरी तैयार की जाती है। धान के बाद गेहूं की जगह तरबूज-खरबूज राजपुर प्रखंड धान की खेती के लिए जाना जाता है। यहां 20 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती होती है। लेकिन अंकित ने परंपरा से हटकर धान के बाद गेहूं नहीं लगाया। वे खुले खेतों में तरबूज, खरबूज और सीड-लेस खीरे की खेती करते हैं। इन फसलों की सप्लाई पटना, रांची और सिलिगुड़ी जैसे बड़े शहरों में होती है। तीन जिलों के किसान लेते हैं नर्सरी आज अंकित की नर्सरी से बक्सर ही नहीं, बल्कि रोहतास और कैमूर जिलों के किसान भी पौधे ले जाते हैं। सासाराम, कोचस, दिनारा समेत दर्जनों गांवों के किसान कोनौली पहुंचकर सब्जी की उन्नत किस्मों की नर्सरी खरीदते हैं। कोविड ने बदली दिशा अंकित सिंह ने स्थानीय महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय से ग्रेजुएशन के बाद बक्सर शहर में ड्राई फ्रूट की होलसेल दुकान खोली थी। करीब पांच साल पहले कोविड महामारी में व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया। इसके बाद वे गांव लौटे और प्रकृति से जुड़कर खेती को ही अपना करियर बना लिया। शुरुआत में गांव के किसान उनकी खेती को लेकर मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज वही किसान उनके नेट हाउस पर आकर लागत और मुनाफे की जानकारी लेते हैं। वैज्ञानिक प्रशिक्षण से मिली सफलता अंकित ने भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र, वाराणसी और वेजिटेबल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, नालंदा से सब्जी फसलों की नर्सरी और खेती का वैज्ञानिक प्रशिक्षण लिया है। इसके अलावा वे कृषि विज्ञान केंद्र, बक्सर के वैज्ञानिक डॉ. रामकेवल से समय-समय पर मार्गदर्शन लेते हैं। जिला कृषि कार्यालय के आत्मा कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रशिक्षणों में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं। हर माह लाखों की आमदनी, 20 लोगों को रोजगार बीते पांच वर्षों में अंकित ने सब्जी की नर्सरी और खेती में महारत हासिल कर ली है। हर माह सब्जियों और नर्सरी से लाखों रुपये की आमदनी हो जाती है। उन्होंने 20 लोगों को रोजगार भी दे रखा है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। अंकित बताते हैं कि वे मुजफ्फरपुर स्थित नीदरलैंड की शाखा से शिमला मिर्च, खीरा, गोभी, तरबूज और खरबूज के उन्नत बीज मंगाते हैं। सीडलेस बैगन भी लगाया था, लेकिन स्थानीय बाजार में मांग नहीं होने के कारण उसे बंद कर दिया। आप भी किसान हैं और कोई अनोखा नवाचार किया है? पूरी जानकारी, फोटो-वीडियो अपने नाम-पते के साथ 8770590566 पर वॉट्सऐप करें। ध्यान रखें, आपका काम पहले किसी मीडिया या सोशल मीडिया में प्रकाशित न हुआ हो।


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