शेखपुरा में बुधवार शाम शिक्षाविद और संत महंथ ज्ञानदेव साहेब उर्फ दोदराज साहेब की 21वीं पुण्यतिथि मनाई गई। यह समारोह सदर प्रखंड के कबीर सत्संग स्मारक विद्यालय कारे के प्रांगण में आयोजित किया गया। दोदराज साहेब ने अपने जीवनकाल में आम लोगों को सही मार्ग पर चलने और शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए अथक प्रयास किए। उनका विशेष बल 45 वर्ष पहले से ही शिक्षा पर रहा था। वे एक उच्च विद्यालय में विज्ञान के शिक्षक थे और 2017 में भागलपुर जिले के बिहपुर उच्च विद्यालय से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपने शिक्षण करियर का अधिकांश समय शेखपुरा के एकाढ़ा उच्च विद्यालय चेबाड़ा में बिताया। सहकर्मियों के साथ व्यवहार सरल एवं कर्तव्यनिष्ठ वे विद्यालय में अपने निर्धारित समय के पाबंद थे और अपने सहकर्मियों के साथ उनका व्यवहार सरल एवं कर्तव्यनिष्ठ था। वे छात्रों के बीच अध्यात्म की चर्चा भी करते थे और विशेष अवकाश के दौरान संत समाज में कबीर की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने में अधिक समय बिताते थे। सेवानिवृत्ति के बाद, 2017 में उन्होंने वाराणसी के कबीर चौरा संत सम्मेलन में भाग लिया। उनकी सादगीपूर्ण विचारधारा को देखते हुए, राजगीर (नालंदा) के महंथ द्वारिका साहेब के परामर्श पर उन्हें आचार्य द्वारा महंथ का पदभार सौंपा गया। महंथ बनने के बाद उन्होंने अपना अधिकांश समय संत समाज के बीच बिताया। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को सहारा देने का कार्य भी किया समाज में उन्होंने शिक्षा और सत्संग पर विशेष जोर दिया, साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को सहारा देने का कार्य भी किया। ऐसे कार्यों से उन्हें अत्यंत आनंद की अनुभूति होती थी। उनकी विचारधारा में स्वयं की चिंता से अधिक दूसरों की चिंता को समाप्त करने का भाव निहित था। वे 2017 से 2004 तक विभिन्न कार्यक्रम चलाते रहे। दिसंबर 2004 में उन्होंने अपने भौतिक शरीर का त्याग कर दिया।
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