दुनिया में बजा भारत का डंका! ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने खोला हथियारों का बाजार, फ्रांस से लेकर फिलीपींस तक लगी कतार
भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ पाकिस्तान की तरफ से प्रायोजित पहलगाम हमले का करारा जवाब ही नहीं था, बल्कि ये दुनिया को भारतीय हथियारों की ताकत दिखाने का भी एक ज़बरदस्त मौका बन गया. आज जब भारत खुद को एक बड़े हथियार बेचने वाले देश के तौर पर दुनिया के सामने ला रहा है, तो ये ऑपरेशन भारत के लिए एक बड़ा फायदा साबित हुआ. इससे भारतीय सेना को अपने खुद के बनाए हथियारों को असली जंग जैसे हालात में आज़माने का मौका मिला.
‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत अब भारत सिर्फ हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहना चाहता, बल्कि खुद अपने हथियार बनाकर दूसरे देशों को बेचने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. पहले भारत ज्यादातर हथियार विदेशों से खरीदता था, लेकिन अब ये तस्वीर बदल रही है. इस ऑपरेशन के बाद दुनिया के कई देशों ने भारत में बने हथियारों में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है. हाल ही में फ्रांस ने भी भारत के बनाए गए लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों को खरीदने की इच्छा जताई है.
इन स्वदेशी हथियारों ने मचाया धमाल
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने भले ही रूस, फ्रांस, इज़राइल और अपने खुद के बनाए हथियारों का मिलाजुला इस्तेमाल किया, लेकिन इस 4 दिन के संघर्ष ने भारत को अपने ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों की ताकत दिखाने का एक बेहतरीन मौका दे दिया. ये ऑपरेशन भारत में बने हथियारों के लिए एक तरह से लाइव प्रमोशन बन गया, क्योंकि अब उन्होंने जंग जैसे हालात में खुद को साबित कर दिया है.
1. आकाश मिसाइल सिस्टम
यह भारत में बना ऐसा मिसाइल सिस्टम है जो ज़मीन से आसमान में उड़ते दुश्मन को गिरा सकता है. इसने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को रोकने में बड़ी कामयाबी हासिल की. इसे सेना और वायुसेना दोनों ने पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये एक साथ कई दुश्मनों को निशाना बना सकता है. 2022 में अर्मेनिया ने करीब 6,000 करोड़ रुपये में 15 आकाश सिस्टम का ऑर्डर दिया था. पहली खेप नवंबर 2024 में भेजी जा चुकी है. अब फिलीपींस, मिस्र, वियतनाम और ब्राज़ील जैसे देश भी इसे खरीदना चाहते हैं.
2. एंटी-ड्रोन D-4 सिस्टम
ये सिस्टम DRDO ने बनाया है और BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) ने तैयार किया है.
इसने पाकिस्तान के तुर्की-निर्मित ड्रोनों को पूरी तरह नाकाम कर दिया.
ये ड्रोन को पहचान सकता है, रोक सकता है और ज़रूरत पड़ी तो गिरा भी सकता है यानी सॉफ्ट और हार्ड दोनों तरह से हमला कर सकता है.
3. नागस्त्र-1 और स्काईस्ट्राइकर (सुसाइड ड्रोन)
इस ऑपरेशन में भारत ने ऐसे ड्रोन भी इस्तेमाल किए जो खुद जाकर दुश्मन पर हमला करते हैं.
- नागस्त्र-1: इसे नागपुर की एक कंपनी ने बनाया है. ये GPS से लक्ष्य की पहचान करता है और 2 मीटर के अंदर सटीक हमला करता है.
- स्काईस्ट्राइकर: ये भारत और इज़राइल की साझेदारी में बेंगलुरु में बना है और इसने भी ऑपरेशन में शानदार प्रदर्शन किया.
4. ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल
ये भारत की सबसे घातक और तेज़ मिसाइल मानी जाती है. इस ऑपरेशन में इसे पहली बार इस्तेमाल किया गया. भारतीय वायुसेना ने इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के एयरबेस पर किया, जिससे पाकिस्तान की हवाई ताकत को बड़ा झटका लगा और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. ब्रह्मोस पहले ही 375 मिलियन डॉलर में फिलीपींस को बेचा जा चुका है. अब इंडोनेशिया, मिडल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया के कई देशों की नज़र भी इस पर है.
फ्रांस को भा गए भारत के हथियार
हाल ही में जब संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए फ्रांस के सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल भारत आए, तो उन्होंने भारतीय सेना के हथियार सिस्टम में खास दिलचस्पी दिखाई. उन्होंने ‘पिनाका रॉकेट सिस्टम’ की खास तारीफ की, जो भारत में ही बना है और लंबी दूरी तक दुश्मन को निशाना बना सकता है.
जनरल शिल ने साफ कहा, “मैं भी अपनी सेना के लंबी दूरी वाले तोप सिस्टम को बदल रहा हूं और भारतीय सिस्टम को देखने में बहुत दिलचस्पी है.” असल में, ऑपरेशन सिंदूर से कुछ महीने पहले ही फ्रांस ने पिनाका के लॉन्ग रेंज वर्ज़न में रुचि दिखाई थी. यह सिस्टम न सिर्फ सटीक है बल्कि पश्चिमी हथियारों के मुकाबले काफी सस्ता भी है.
जनरल शिल ने ये भी कहा कि “लॉन्ग रेंज सिस्टम और सुसाइड ड्रोन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत और फ्रांस मिलकर काम कर सकते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में जो देखने को मिला, वो काफी अहम है.” अब फ्रांस जैसे विकसित देश की दिलचस्पी अपने-आप में भारतीय हथियारों के लिए एक ‘सर्टिफिकेट’ है.
दुनिया झुक रही है भारत के हथियारों के आगे
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय हथियारों की मांग में जबरदस्त उछाल आया है. इसके पीछे कई ठोस वजहें हैं.
1. युद्ध में खुद को साबित कर चुके हैं
अब ये हथियार सिर्फ कागजों पर या टेस्टिंग रेंज में नहीं, बल्कि असली जंग जैसे हालात में काम कर चुके हैं. ड्रोन के झुंड हों, रात का अंधेरा हो या फिर जटिल टारगेट, इन सबमें भारतीय सिस्टम ने शानदार प्रदर्शन किया है. जब कोई हथियार असली जंग में असरदार साबित होता है, तो दुनियाभर में उस पर भरोसा कई गुना बढ़ जाता है.
2. कम कीमत, जबरदस्त ताकत
भारतीय हथियार, पश्चिमी देशों के मुकाबले काफी सस्ते हैं, लेकिन क्वालिटी में कोई कमी नहीं. ऐसे देश जो कम बजट में ताकतवर हथियार चाहते हैं, उनके लिए ये बेस्ट डील है.
3. डिपेंडेंसी नहीं, भरोसेमंद सप्लाई
भारत के ज़्यादातर सिस्टम स्वदेशी हैं, यानी DRDO और भारतीय कंपनियों ने बनाए हैं. इससे भारत उन देशों को भरोसा दिला सकता है कि उन्हें अपने मुताबिक सिस्टम मिलेंगे और लगातार सप्लाई भी होती रहेगी.
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