न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में 27 वर्षीय दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग की घटना को रिपोर्ट करने में वैचारिक मिलावट की गई है. इस रिपोर्ट ने इस क्रूर घटना को सीधे पेश करने की बजाय दक्षिण एशिया में बढ़ती धार्मिक असहनशीलता के व्यापक मुद्दे से जोड़ा है. इसमें पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के उदाहरण भी शामिल कर इस घटना को सामान्य बनाने की कोशिश की गई है. भारत में भी हिंदू गोरक्षा समूहों द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का जिक्र किया गया है. साथ ही केरल की उस घटना का भी उल्लेख है जिसमें एक प्रवासी मजदूर की हत्या चोरी के शक में हुई थी न कि धार्मिक कारणों से. इस प्रकार यह रिपोर्ट उस घटना की गंभीरता को कम दिखाने और उसे एक सामान्य घटना के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश करती है.
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