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दिसंबर में 26° तापमान; रबी फसलों पर संकट, गेहूं-आलू की ग्रोथ हुई कम

दिसंबर महीने के 16 दिन बीत जाने के बाद भी जिले में कड़ाके की ठंड का इंतजार बरकरार है। मौसम के इस असामान्य मिजाज का सीधा असर रबी की फसलों पर भी पड़ रहा है। इन फसलों में ग्रोथ कम है। खासकर गेहूं, आलू और मसूर जैसी महत्वपूर्ण फसलें सीधे तौर पर प्रभावित होती दिख रही हैं। जिले में मौसम चक्र के अनुसार, 10 दिसंबर तक कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन 16 दिसंबर होने के बावजूद रह-रह कर विक्षोभ बनने के कारण तापमान थोड़ा घटता है और फिर बढ़ना शुरू हो जाता है। पिछले सात दिनों से जिले का अधिकतम तापमान 26 से 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। मंगलवार को दिन का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो दिसंबर के महीने में चौंकाने वाला है। मौसम चक्र में आए इस बदलाव के कारण फसल की उपज 15 दिन तक लेट हो रही है। सात साल पहले जिले में डेढ़ महीने तक ठंड रहती थी, जो अब सिमटकर एक महीने पर आ गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि अब ठंड अचानक आती है, तेजी से बढ़ती है और फिर कुछ ही दिनों में तापमान में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है। यह सिमटने की प्रवृत्ति पिछले चार वर्षों से और अधिक देखी जा रही है। ठंड भले ही सिमट रही हो, लेकिन इस दौरान बारिश और गर्मी के दिन बढ़ गए हैं, जिसका असर फसल चक्र पर हो रहा है। ^मौसम चक्र बदलने के कारण कड़ाके की ठंड नहीं हो रही हैं। अभी भी पांच दिन तक तेज ठंड के आसार नहीं है। पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने के कारण ऐसा हो रहा है। फिलहाल किसानों को इसको लेकर लगातार अवगत कराया जा रहा है। – पंकज कुमार, वैज्ञानिक, केविके कटिहार। मंगलवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री दर्ज हुआ। यह सामान्य से 1 डिग्री अधिक है। जबकि, न्यूनतम पारा सामान्य से दो डिग्री अधिक 13 डिग्री रहा। पछुआ हवा की रफ्तार 6 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। जबकि 61 फीसदी नमी बनी रही। अभी यही हाल रहने का अनुमान है। बीते एक सप्ताह से दिनों में दिन और रात के तापमान में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस मौसम में गेहूं की बेहतर फसल के लिए कुछ दिनों तक अधिक ठंड पड़ना आवश्यक है। इन दिनों में अगेती और मध्यम किस्म की बुआई वाली गेहूं के पौधों में अधिक टिलरिंग यानी कल्ले निकलने के लिए सामान्य से कम तापमान चाहिए। हवा में नमी रहने से ओस गिरना भी जरूरी है। जबकि आलू और मसुर के लिए भी कम तापमान जरूरी है। अगर इन फसलों को न्यूनतम तापमान नहीं मिलेगा तो फसल की पैदावार कम होगी। कृषि वैज्ञानिक पंकज कुमार ने बताया कि मौसम चक्र में बदलाव होने से इसका असर सीधे फसलों पर पड़ा है। फसल में परिवर्तन की जरूरत है। फसलें लेट से पक रही है। किसानों को कम अवधि वाले फसल को लगाना चाहिए ताकि मौसम के बदलाव का उत्पादन पर असर ना पड़े।


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