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दिल्ली से देहरादून का सफर ढाई घंटे में होगा पूरा:रियल एस्टेट कारोबार में 40 प्रतिशत तक होगी वृद्धि, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण में होगा इजाफा

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का लंबे समय से इंतजार कर रहे लोगों के लिए 1 दिसंबर एक अहम तारीख साबित हुई है। 210 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे का पहले ही ट्रायल रन शुरू हो चुका है और अभी फिलहाल दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से बागपत (खेकड़ा के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे जंक्शन) तक का 32 किलोमीटर हिस्सा वाहनों के लिए खोल दिया गया है। इस हिस्से में बिना टोल शुल्क के 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा संभव है। उधर, बागपत से सहारनपुर तक निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन कई हिस्सों में काम अभी भी अधूरा है। निर्माण एजेंसियों के अनुसार, सहारनपुर क्षेत्र में बचा हुआ काम दिसंबर 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि फरवरी 2026 तक पूरा कॉरिडोर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। पूरी तरह शुरू होने पर यह 6 लेन एक्सप्रेसवे दिल्ली-देहरादून यात्रा समय को मौजूदा 6 से साढ़े 6 घंटे से घटाकर केवल ढाई घंटे कर देगा। इस परियोजना की विशेष बात यह है कि राजाजी नेशनल पार्क के ऊपर 12 किमी का एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया गया है, जिसमें वन्यजीव पास और सोलर पैनल भी शामिल हैं। देहरादून पर एक्सप्रेस-वे का क्या पड़ेगा असर? 2 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है तापमान
रफ्तार और विकास की इस उम्मीद के साथ कई चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं। इस एक्सप्रेस-वे के पूरी तरह खुल जाने के बाद देहरादून पर इसका क्या असर पड़ेगा। इसको लेकर कई लोगों से बातचीत की। पर्यावरणविद् और प्रोफेसर एसपी सती ने इस एक्सप्रेसवे को लेकर गंभीर पर्यावरणीय खतरे जताए हैं। उन्होंने बताया कि निर्माण प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है, क्योंकि एक्सप्रेसवे राजाजी नेशनल पार्क के मध्य से होकर गुजरता है। एसपी सती के मुताबिक, चौड़ी सड़कों का काला डामर सूरज की गर्मी को अधिक अवशोषित करता है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों में तापमान 2 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही कई लेन वाले इस एक्सप्रेसवे से भविष्य में ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा और पेट्रोलियम पदार्थों के दहन से ब्लैक कार्बन उत्सर्जन भी अधिक होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि देहरादून पहले ही वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली के समकक्ष पहुंचने लगा है और यह परियोजना स्थिति को और बिगाड़ सकती है। रियल एस्टेट कारोबारियों में खासा उत्साह
एक्सप्रेसवे के पूरी तरह शुरू होने से पहले ही रियल एस्टेट क्षेत्र में नई हलचल देखी जा रही है। पिछले 30 वर्षों से रियल एस्टेट क्षेत्र में कार्यरत बेस्ट डेवलपर्स एंड बिल्डर्स के शारिक ने बताया कि बेहतर कनेक्टिविटी के बाद देहरादून ही नहीं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंच भी आसान हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद केवल एक वर्ष के अंदर देहरादून की प्रॉपर्टी कीमतों में 32 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। उनका मानना है कि इससे निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ेगा और पूरे क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में उछाल आएगा। आने वाला ट्रैफिक बनेगी बड़ी समस्या
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने इस एक्सप्रेसवे को लेकर जारी प्रचार पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अक्षरधाम से आशारोड़ी तक का सफर भले ही ढाई घंटे में पूरा हो जाए, लेकिन देहरादून शहर में प्रवेश करने के बाद मौजूदा ट्रैफिक स्थिति के चलते शहर पहुंचने में और ढाई घंटे लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग एक्सप्रेसवे के कारण बढ़ने वाले ट्रैफिक को लेकर पहले ही चिंता जता रहे हैं। यदि आने वाले समय में 15 से 20 हजार नए वाहन प्रतिदिन देहरादून की ओर आकर्षित होंगे, तो क्लेमेंटटाउन और आईएसबीटी जैसे एंट्री पॉइंट्स पर चौक प्वाइंट्स बढ़ना स्वाभाविक है। देहरादून में खुलेंगे नए अवसर
स्थानीय निवासी अभय रंजन एक्सप्रेस-वे को विकास की दृष्टि से बड़ा मौका मानते हैं। उनका कहना है कि इसके शुरू होने से देहरादून का दायरा बढ़ेगा, शहर नए अवसरों से जुड़ेगा और दिल्ली से दूरी लगभग आधी हो जाएगी। वे इसे राज्य के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी परियोजना मानते हैं और इसके पूर्ण उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। शहर में तीन गुना ट्रैफिक दबाव बढ़ने का अनुमान
दिल्ली-देहरादून मार्ग पर प्रतिदिन चलने वाले वाहनों की संख्या जो अभी करीब 10 हजार से 15 हजार है, एक्सप्रेसवे शुरू होने पर करीब 20 हजार से 30 हजार तक पहुंच सकती है। देहरादून शहर में मौजूदा क्षमता से तीन गुना ट्रैफिक दबाव के साथ अतिरिक्त करीब 20 हजार से 25 हजार वाहन रोजाना प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में यह एक्सप्रेसवे विकास और पर्यावरणीय संतुलन के बीच एक महत्वपूर्ण परीक्षा पेश करता है। जहां एक ओर यह आवाजाही और व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते ट्रैफिक और तापमान वृद्धि जैसे खतरे भी सामने हैं। आने वाला समय ही बताएगा कि यह परियोजना देहरादून के लिए राहत लेकर आएगी या नई चुनौतियां।


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