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दिल्ली के कनॉट प्लेस से 5 गुना महंगा सोनपुर मेला:जलेबी की दुकान के लिए 3.8 लाख रेंट, 32 लाख में थियेटर की जगह

‘55 लाख रुपए खर्च कर थिएटर शुरू किया, 32 लाख रुपए जमीन का किराया है। अभी घाटे में हूं। डांसरों को एडवांस पैसे देकर बुलाया। मेला का समय नहीं बढ़ा तो इस बार घर के पैसे डूब जाएंगे।’ नखास लेन में लगे न्यू इंडिया थिएटर के मालिक पप्पू इतना कहकर चुप हो जाते हैं। वह बात हमसे कर रहे हैं, लेकिन नजरें टिकट काउंटर पर हैं। बढ़े हुए किराये से सिर्फ पप्पू परेशान नहीं। 1 हजार से अधिक दुकानदारों का यही हाल है। मेला में जलेबी की दुकान के लिए 3.8 लाख रुपए तो छोले-भटूरे की दुकान के लिए 1.65 लाख रुपए किराया देना पड़ा है। सोनपुर मेला में लगे दुकानों के किराये आसमान छू रहे हैं। ऐसे में भास्कर की टीम मेला पहुंची। हमने दुकानदारों से बात की। जाना कि जगह रेंट पर लेने का क्या सिस्टम है? कितना पैसा लगता है? दिल्ली के कनॉट पैलेस से भी 5 गुना ज्यादा है सोनपुर मेला का किराया सोनपुर मेला में दुकानों के लिए जगह का किराया दिल्ली के कनॉट पैलेस से भी 5 गुना से अधिक महंगा है। 5 फीट में छोले-भटूरे की दुकान लगाने के लिए रेंट 1.65 लाख रुपए है। वहीं, अगर इतनी ही जगह पर कनॉट प्लेस में दुकान लगाई जाए तो उसका किराया करीब 6 हजार रुपए प्रति महीना होगा। सोनपुर मेला के प्राइम लोकेशन पर किराया 30-33 हजार रुपए प्रति फुट है। वहीं, रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड डाटा के अनुसार दिल्ली के कनॉट पैलेस के स्ट्रीट रिटेल लोकेशन का किराया 1,150-1,250 प्रति स्क्वेयर फुट प्रति माह है। सोनपुर मेला में एक साल का किराया देना होता है, लेकिन दुकानें करीब एक महीने ही खुलती हैं। मेला के बाद बंद हो जाती हैं। अब जानिए सोनपुर मेला का हाल, कैसे तय होता है किराया? सोनपुर मेला पहुंचकर हमने गाड़ी पार्क की। इसके बाद मेला के प्राइम लोकेशन नखास की ओर बढ़े। हमारी बात मेला ठेकेदार अक्षय कुमार से हुई। वह सरकारी जमीन बोली लगाकर लेते हैं और उसे दुकान लगाने के लिए रेंट पर देते हैं। अक्षय ने कहा, ‘इस बार मेले के प्राइम लोकेशन नखास के पास की 4 एकड़ जमीन के लिए 3 करोड़ 58 लाख रुपए की बोली लगी।’ अक्षय ने कहा, ‘दुकान की जमीन का रेंट इस बात से तय होता है कि उसका लोकेशन क्या है। थिएटर के पास की जगह का रेंट अधिक है। मेले में रेलवे और निजी लोगों की भी जमीनें हैं। निजी लोग अपने हिसाब से रेट तय करते हैं। वहीं, रेलवे की जमीन के लिए रेलवे खुद बोली लगाती है।’ 300 एकड़ से अधिक जमीन पर लगा है सोनपुर मेला अक्षय ने कहा कि सोनपुर मेला 300 एकड़ से अधिक जमीन पर लगा है। इसमें सरकारी मेले की जमीन, रेलवे की जमीन और निजी लोगों की जमीनें शामिल हैं। 1 महीने तक लगने वाले इस मेले में थिएटर, झूला, ब्रेक डांस, सर्कस, गर्म कपड़े की दुकान, मिठाई की दुकान, अलग-अलग कंपनियों का एडवर्टाइजमेंट स्टॉल, छोले-चाट की दुकान, जलेबी की दुकान सहित 1 हजार से अधिक दुकानें लगी हैं। 5 फीट जगह के लिए रेंट 1 लाख 65 हजार रुपए मेले में हमारी मुलाकात छोले-भटूरे बेचने वाले रोहित से हुई। वह सोनपुर के रहने वाले हैं। उनकी दुकान मेले के प्राइम लोकेशन नखास में है। रोहित ने कहा, ‘मेले के ठेकेदार से मैंने 33 हजार रुपए प्रति फीट फ्रंट के हिसाब से जमीन किराये पर ली है। 5 फीट के लिए 1 लाख 65 हजार रुपए देने हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने जमीन जहां किराये पर ली वहां फ्रंट के पीछे जितनी लंबी जमीन खाली रहे उतना इस्तेमाल कर सकते हैं। बोली 1 साल के लिए लगती है, लेकिन 1 महीने के बाद मेले में कोई नहीं आता तो दुकान बंद हो जाती है। पैसे एक बार में नहीं, रोज के हिसाब से पैसे देते है। जिस दिन जैसी दुकान चलती है, उसी हिसाब से पैसे देते है।’ थिएटर शुरू करने में खर्च हुए 55 लाख रुपए नखास लेन में न्यू इंडिया थिएटर लगा है। यह थिएटर पिछले 30 सालों से लग रहा है। हमने इसके मालिक पप्पू से बात की। वह सोनपुर के रहने वाले हैं। पप्पू ने कहा, ‘इस जमीन की चौड़ाई 70 फीट और लंबाई 96 फीट है। आज से करीब 15 साल पहले इसका किराया 2 लाख 75 हजार था। आज बढ़कर 32 लाख रुपए हो गया है। मैं सीधे मेला प्रशासन से डील करता हूं। आप देख सकते हैं, मेला में लोग नहीं हैं। जब लोग ही नहीं आएंगे तो कमाई कहां से होगी। थियेटर के लिए लोगों में पहले जैसी रूची नहीं रही।’ उन्होंने कहा, ‘इलेक्शन की वजह से मेला देर से शुरू हुआ। जब जमीन की बोली लग रही थी, उस समय पैसे पूरे लिए गए। शादी-विवाह का लग्न होने की वजह से भी मेले में भीड़ नहीं हो रही है।’ थिएटर के सामने हमें सूरज चारपाई पर रखकर स्वेटर, जैकेट और दूसरे गर्म कपड़े बेचते नजर आए। बताया कि इतनी सी जगह के लिए 1.5 लाख रुपए किराया है। प्रति फीट 30 हजार की दर से रेंट लगता है। लोग कपड़े खरीद रहे हैं। पिछले कई सालों से मेला में दुकान लगा रहा हूं। हमें सालभर इसका इंतजार रहता है। हर साल बढ़ रहा किराया, दुकान के लिए दिए 1.50 लाख चंद कदम आगे बढ़ने पर हमें ए-वन चिकन बिरयानी का स्टॉल लगाने वाले इरफान मिले। वह यूपी के मुरादाबाद से सोनपुर आए हैं। इस मेले में हर साल अपनी स्टॉल लगाते हैं। इरफान ने कहा, ‘हर साल मेले की जमीन का किराया बढ़ जाता है। मैंने 5 फीट फ्रंट जमीन पर दुकान लगाने के लिए 1.50 लाख रुपए किराया दिया है। बिक्री ठीक-ठाक हो रही है। प्राइम लोकेशन पर होने का फायदा हो रहा है। हर रोज 3-5 हजार रुपए बच जाते हैं।’ मिठाई की दुकान लगाने में खर्च हुए 4 लाख रुपए नखास से हम चिड़िया बाजार की तरफ बढ़े। मेले में सरकारी जमीन के अलावा प्राइवेट जमीन में भी झूले और दुकानें लगी हैं। हमें जोगिर राय चिड़िया बाजार के पास अपनी मिठाई की दुकान में मिले। पटना के दीदारगंज के रहने वाले हैं। जोगिर राय ने बताया कि नखास जैसे प्राइम लोकेशन से जितना दूर जाएंगे किराया घटता जाएगा। मैंने 10 हजार रुपए प्रति फीट के हिसाब से जमीन रेंट पर ली है। 15 फीट फ्रंट के लिए किराया 1.50 लाख रुपए है। उसके बाद अपना शेड लगाया है। दुकान लगाने में 4 लाख रुपए से अधिक खर्च हो गए। अभी मेला में लोगों की भीड़ नहीं है। मैं घाटे में हूं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भीड़ बढ़ेगी। धान काटने का समय होने के चलते शुरुआत में लोग कम आ रहे थे।’ 3.80 लाख रुपए रेंट देकर खोली जलेबी की दुकान संगत ग्रैन्ड के पास हमें हाजीपुर के रितेश मिले। उनकी जलेबी की दुकान है। रितेश ने कहा, ‘मेले में रौनक नहीं है। बिक्री कम है। 35 फीट फ्रंट की जमीन के लिए 3.80 लाख रुपए रेंट दिया है। अभी घाटे में हूं।’ इसी लेन में चंद कदम आगे बढ़ने पर हमें गर्म कपड़े बेच रहे मनीष मिले। उन्होंने बताया कि 20 हजार रुपए प्रति फीट की रेट से 10 फीट चौड़ी जगह ली। मेले में रौनक कम है, लेकिन सर्दी जैसे-जैसे बढ़ रही है लोग गरम कपड़े खरीद रहे हैं।’


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