तेज गर्मी हो या जोरों की बारिश, खाते में आ जाएंगे इंश्योरेंस के पैसे; सरकार ला रही है नई स्कीम
भारत में अब सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर एक नई योजना पर काम कर रही हैं, जिसका मकसद देश भर में होने वाली बाढ़, लू जैसे कड़ाके की गर्मी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तेजी से आर्थिक मदद उपलब्ध कराना है. इस योजना में एक खास तरह का बीमा मॉडल अपनाया जाएगा, जिसे पैरामीट्रिक बीमा कहते हैं. इसका मतलब है कि जैसे ही मौसम से जुड़ी कोई खास सीमा जैसे तेज बारिश, तापमान या हवा की गति एक तय सीमा से ऊपर जाती है, तो बीमाधारकों को तुरंत पैसे मिल जाएंगे. इस तरह नुकसान का आकलन किए बिना भुगतान हो सकेगा और मदद जल्द पहुंच पाएगी.
भारत के लिए क्यों अहम है पैरामीट्रिक बीमा
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पैरामीट्रिक बीमा का यह मॉडल भारत के लिए बहुत अहम हो सकता है क्योंकि देश जलवायु बदलाव और चरम मौसम की घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा जोखिम में है. यहां हर साल बाढ़, सूखा, और तूफान जैसी घटनाओं से लाखों लोगों को नुकसान होता है. वर्तमान में सरकार आपदा प्रबंधन के लिए अलग-अलग राज्यों को धन भेजती है, लेकिन इस नए मॉडल से बीमा कंपनियां जोखिम उठा कर अधिक कुशल और तेज मदद मुहैया करा सकेंगी. इससे सरकार का खर्च भी नियंत्रित रहेगा.
कैसे काम करेगा यह बीमा?
रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि पैरामीट्रिक बीमा का फायदा यह है कि नुकसान का विस्तार से पता लगाकर महीनों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ती. जैसे ही मौसम की मापदंड (जैसे बारिश की मात्रा या तापमान) तय सीमा को पार करता है, बीमा कंपनी तुरंत तय राशि का भुगतान कर देती है. इससे प्रभावित लोग या किसान जल्दी राहत पा सकते हैं और अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि यह बीमा उन इलाकों में भी दिया जा सकता है जहां पारंपरिक बीमा उपलब्ध नहीं होता.
सरकारी अधिकारी और बीमा कंपनियां इस योजना को लेकर चर्चा कर रहे हैं और इसके लिए वित्त मंत्रालय, आपदा प्रबंधन एजेंसी और भारत के बीमा नियामक IRDAI भी शामिल हैं. फिलहाल कोई अंतिम प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन चर्चा काफी आगे बढ़ चुकी है. सरकार यह भी सोच रही है कि बीमा प्रीमियम के लिए अतिरिक्त फंड कहां से आएगा. इसके लिए उपयोगिता बिलों में छोटे-छोटे चार्ज लगाए जा सकते हैं या मौजूदा आपदा राहत कोष का इस्तेमाल किया जा सकता है.
देश और राज्यों में हो रहे प्रायोगिक परीक्षण
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुछ राज्यों ने पहले ही इस तरह की योजनाओं का परीक्षण शुरू कर दिया है. उदाहरण के तौर पर, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले साल गर्मी के दौरान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर कुछ लोगों को सीधे भुगतान किया गया.वहीं, नागालैंड को मई में भारी बारिश के बाद बीमा कंपनी ने 1 लाख से ज्यादा डॉलर का भुगतान किया. केरल के दुग्ध संघ ने भी किसानों के लिए गर्मी से होने वाले नुकसान को कवर करने वाली योजना शुरू की है.
आखिर क्यों जरूरी है यह योजना?
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 के अनुसार भारत जलवायु जोखिम के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में है. बीते तीन दशकों में भारत में 400 से अधिक गंभीर प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिनमें 80,000 से ज्यादा मौतें और भारी आर्थिक नुकसान हुआ. ऐसे में एक तेज, पारदर्शी और प्रभावी बीमा योजना देश के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है. यह योजना छोटे किसानों, स्थानीय व्यापारियों और प्रभावित परिवारों को मदद पहुंचाने का एक मजबूत माध्यम बन सकती है.
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