एक तरफ पति की शहादत पर गर्व, और दूसरी तरफ कभी ना भरने वाला खालीपन. नमांश की पत्नी अफसाना आज उसी दोराहे पर खड़ी हैं. उनकी 7 साल की मासूम बेटी है, जिसे शायद अभी ठीक से ये भी नहीं पता कि उसके पिता अब कभी लौटकर उसे गोद में नहीं उठाएंगे.
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