‘पार्टी में अब न सम्मान है और न इज्जत। ऐरा-गैरा कोई भी रोज फोन कर देता है। कभी भीड़ जुटाने के लिए बोलता है तो कभी पटना आने की हिदायत देता है। हम अपने नेता तेजस्वी यादव से मिल तक नहीं पाते हैं।’ ये कहना है RJD के हारे हुए कैंडिडेट का। तेजस्वी यादव हार की समीक्षा के लिए कैंडिडेट से बात कर रहे हैं। भास्कर ने RJD के हारे हुए 20 कैंडिडेट से बात की और उनसे समझने की कोशिश की कि उन्होंने तेजस्वी को देने के लिए क्या रिपोर्ट तैयार की है। भास्कर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़िए RJD की हार के 5 बड़े कारण… कारण-1ः पार्टी अब कॉर्पोरेट कल्चर की तरह काम कर रही RJD विधायक ने बताया, ‘करारी हार का सबसे बड़ा कारण संगठन में को-ऑर्डिनेशन का अभाव है। पहले इसके लिए कुछ खास लोगों को लगाया जाता था, जो कैंडिडेट या नेता को उनके कद के हिसाब से सम्मान और इज्जत देते थे। अब पार्टी में पूरी तरह कॉर्पोरेट कल्चर हावी है। कोई भी किसी को फोन कर सूचना दे देता है। इसके कारण न केवल जमीनी स्तर पर नेताओं में नाराजगी थी, बल्कि नेता का मैसेज भी सही तरीके से जमीन पर नहीं पहुंच पाता था। इतना ही नहीं पार्टी के प्रदेश से लेकर जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर के नेताओं को दरकिनार कर एक पेड टीम बनाई गई थी, जिसने चुनाव में काम किया। टीम प्रॉपर मैसेज नहीं पहुंचा पाई। कारण-2ः संजय की सर्वे टीम ने कैंडिडेट सिलेक्शन में किया बड़ा खेला तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव की मनमानी के बारे में RJD नेताओं ने बताया, ’पार्टी के 3 बड़े काम संजय यादव ने अपनी खास टीम को दी थी। सबसे बड़ा खेला यहीं हुआ। इनके कारण ग्राउंड स्तर पर गलत मैसेज गया। कारण-3ः संजय यादव ने तेजस्वी यादव को कार्यकर्ताओं से दूर रखा RJD विधायक ने बताया, ‘चुनाव के दौरान कैंडिडेट अपने नेता तेजस्वी यादव से मिलना चाहते थे लेकिन ऐसा सिस्टम बना दिया गया कि कोई उनसे मिल नहीं सकता था। इसमें नेता का कोई दोष नहीं है। उन्हें इस तरह व्यस्त किया गया कि उनके पास समय ही नहीं था।’ एक-एक दिन में उनकी 15-17 रैली कराई गई। इसका नतीजा यह हुआ कि न वे रैली में स्टेज पर टाइम दे पाए और न कार्यकर्ताओं से मिल पाए। ये भी हमारे लिए नुकसानदेह रहा। कारण-4ः सिटिंग विधायकों के टिकट काटे, उनसे बात तक नहीं की कैंडिडेट ने बताया, ‘सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया गया, लेकिन उनसे बात तक नहीं की गई। बस लिस्ट जारी कर दी गई। टिकट क्यों कटा, नहीं बताया गया। उनसे तेजस्वी यादव ने मिलना तक मुनासिब नहीं समझा। इससे समस्या यह हुई कि टिकट कटने के बाद कुछ लोग खुलकर तो कुछ पर्दे के पीछे से पार्टी को हराने में जुट गए।’ मगध के एक विधायक ने नवीनगर सीट का उदाहरण देते हुए बताया, ‘अगर वहां डब्लू सिंह को टिकट मिल जाता तो भीतरी वर्सेज बाहरी की मजबूत फाइट होती, लेकिन टिकट नहीं मिला। नतीजा हुआ कि जो डब्लू सिंह राजद के लिए समर्पित थे वही जदयू कैंडिडेट को जीताने में जुट गए।’ कारण-5: सोशल इंजीनियरिंग में चूके, सहनी वोट कन्वर्ट नहीं करा पाए विधायकों ने बताया, ‘सोशल इंजीनियरिंग समझने में हमसे बड़ी गलती हुई। हम पूरे चुनाव तक इस बात के लिए आशान्वित रहे कि हमें सभी जाति का वोट मिलेगा। इसी के आधार पर गठबंधन तैयार किया गया और कैंडिडेट का सिलेक्शन किया गया, लेकिन जमीन पर हमारी ये इंजीनियरिंग पूरी तरह फेल रही। विधायकों ने बताया, ‘महागठबंधन की तरफ से मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का कैंडिडेट बनाना भी गलत फैसला था। इसके कारण कम से कम 30-40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हमसे दूर हुए। इतना ही नहीं मुकेश सहनी अपनी जाति का वोट भी पूरी तरह नहीं दिला पाए।’ उन्होंने बताया, ‘हमें अपनी जाति का तो वोट हर इलाके में मिला, लेकिन हम जिस अदर्स जाति के वोट को हासिल करने की कोशिश कर रहे थे उसमें कामयाबी नहीं मिली।’ 12 दिन बाद शुरू हुई समीक्षा, एक सप्ताह तक चलेगी विधानसभा चुनाव परिणाम के 12 दिन बाद RJD ने अपनी हार की समीक्षा शुरू की है। पार्टी 119 सीटों पर हार के कारणों को टटोलने की कोशिश कर रही है। हर कैंडिडेट से वन टू वन मीटिंग कर उनसे बूथ लेवल रिपोर्ट, वोटिंग पैटर्न, सहयोगी दलों के प्रदर्शन, संगठन की भूमिका पर फीडबैक लिया जा रहा है। 26 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत मगध प्रमंडल के नेताओं से हुई। तेजस्वी पहले दिन ऑनलाइन जुड़े। जबकि, प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ऑफिस में सभी नेताओं के साथ थे।
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