तुर्किये को उसी की भाषा में भारत का जवाब, नॉर्थ साइप्रस का मुद्दा उठाया; एर्दोगन ने कश्मीर पर बयान दिया था

तुर्किये को उसी की भाषा में भारत का जवाब, नॉर्थ साइप्रस का मुद्दा उठाया; एर्दोगन ने कश्मीर पर बयान दिया था

तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तयप एर्दोगन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था. एर्दोगन ने कहा था कि इस मुद्दे को UN सुरक्षा परिषद की मदद से सुलझाना चाहिए. भारत ने इस पर विरोध भी जताया था. अब भारत ने तुर्किये को उसी की भाषा में जवाब दिया है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को साइप्रस के विदेश मंत्री कोनस्टांटिनोस कोम्बोस से मुलाकात की. उन्होंने साफ कहा कि नार्थ साइप्रस का हल भी UN के फैसलों और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार ही होना चाहिए. जयशंकर ने अपने ट्वीट में कहा, ‘साइप्रस के विदेश मंत्री से मिलकर अच्छा लगा. हमने दोनों देशों के रिश्तों की प्रगति पर चर्चा की और साइप्रस मुद्दे का समाधान UN के तय ढांचे के मुताबिक करने का समर्थन दोहराया.’

क्या है नार्थ साइप्रस विवाद?

तुर्किये ने 1974 में साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया था, जिसे अब नार्थ साइप्रस कहा जाता है. इस हिस्से को केवल तुर्किये ही एक देश की तरह मानता है, बाकी दुनिया इसे गैरकानूनी कब्जा मानती है. साइप्रस चाहता है कि पूरा द्वीप उसका ही हिस्सा हो. भारत का अब इस पर खुलकर बोलना तुर्किये को सीधा जवाब माना जा रहा है.

भारत ने साफ कर दिया है कि अगर तुर्किये कश्मीर पर बोल सकता है, तो भारत भी साइप्रस के मुद्दे पर बोलने से पीछे नहीं हटेगा. यह बयान सीधे तौर पर एर्दोगन की टिप्पणी का राजनयिक और कूटनीतिक जवाब माना जा रहा है. भारत अब डिप्लोमेसी में पलटवार की रणनीति पर जोर दे रहा है, खासकर जब आंतरिक मामलों पर सवाल उठाए जाते हैं.

कश्मीर पर भारत का क्या स्टैंड?

भारत पहले भी ऐसी टिप्पणियों को खारिज कर चुका है. भारत का कहना है कि,जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है एर्दोगन 2019 से हर साल (2024 छोड़कर) UN में कश्मीर का जिक्र करते रहे हैं, जिसमें वे पाकिस्तान के तरफ अपना समर्थन दिखाते हैं.

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