ताजिकिस्तान में अफगान सीमा के पास एक सोने की खदान पर हुए ड्रोन हमले ने पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। मौजूद जानकारी के अनुसार यह हमला शमसिद्दीन शोहिन जिले में संचालित प्राइवेट गोल्ड माइनिंग कंपनी के एक कंपाउंड पर किया गया, जिसमें तीन चीनी कर्मचारियों की मौत हो गई हैं। ताजिक अधिकारियों का कहना है कि हमला अफगानिस्तान की ओर से लॉन्च किए गए हथियारबंद ड्रोन से किया गया था, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में पहले से मौजूद तनाव और गहरा गया है।
बता दें कि 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से ही ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध लगातार बिगड़ते रहे हैं। ताजिकिस्तान खुले तौर पर तालिबान शासन का विरोध करने वाले कुछ गिने-चुने पड़ोसी देशों में शामिल रहा है। ताजिक मंत्रालय ने यह भी याद दिलाया कि पिछले साल नवंबर में भी अफगानिस्तान की ओर से हुए एक हमले में एक चीनी नागरिक की मौत हुई थी, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे।
गौरतलब है कि इस ताजा हमले में ड्रोन का इस्तेमाल इस बात का संकेत है कि खतरा अब पारंपरिक हमलों से आगे बढ़कर तकनीक आधारित तरीकों तक पहुंच चुका है। ताजिक विदेश मंत्रालय के अनुसार, ड्रोन में विस्फोटक डिवाइस और हथियार फिट किए गए थे, जिसका लक्ष्य वहां काम कर रहे चीनी कर्मचारी थे, जो बड़ी संख्या में इस क्षेत्र की खदानों में कार्यरत हैं।
इस घटना के बाद पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “घिनौना आतंकवादी हमला” करार दिया है। पाक विदेश मंत्रालय ने चीन और ताजिकिस्तान दोनों के प्रति संवेदना जताई है और कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार से होने वाले हमलों का सामना करता रहा है, इसलिए वह दोनों देशों की स्थिति को बखूबी समझता है। पाकिस्तान ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी पड़ोसी देश के खिलाफ नहीं होने देना चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का यह बयान सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी भाषा से यह भी स्पष्ट होता है कि वह चीन और ताजिकिस्तान को अफगान तालिबान के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध पिछले कई वर्षों से तनावपूर्ण रहे हैं, और इस घटना को इस क्षेत्रीय राजनीति में एक नए मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें सुरक्षा, व्यापार और भू-राजनीतिक हित गहराई से जुड़े हैं।
ताजिकिस्तान, चीन और पाकिस्तान ने इस घटना की संयुक्त निंदा की है, जबकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव एक बार फिर बढ़ गया है, वहीं खदान क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई हैं।
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