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‘ड्रेनेज निर्माण से गांव कटाव के खतरे में आएगा’:विस्थापन की आशंका पर किसानों ने किया विरोध, विधायक बोले- गांव के लोगों के हित में काम होगा

भागलपुर जिले के नाथनगर प्रखंड के बैरिया गांव में गंगा पुनर्जीवन परियोजना के तहत चल रहे ड्रेनेज कार्य का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। पिछले लगभग 15 दिनों से किसान इस परियोजना को रोकने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ड्रेनेज निर्माण से गंगा किनारे बसे आधा दर्जन से अधिक गांव कटाव के खतरे में आ जाएंगे और उनकी खेती की जमीन भी प्रभावित होगी। इसी समस्या को लेकर गुरुवार दोपहर भागलपुर के सदर एसडीओ विकास कुमार और नाथनगर के विधायक मिथुन कुमार यादव ने कार्यस्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने ग्रामीणों की आपत्तियां सुनीं। किसान मनोज मंडल सहित अन्य ग्रामीणों ने अधिकारियों के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि ड्रेनेज निर्माण से पहले गंगा किनारे सुरक्षात्मक बांध और बोल्डर पीचिंग का कार्य कराना आवश्यक है। किसानों ने अधिकारियों से कहा- कई गांवों पर मंडराएगा खतरा किसानों ने अधिकारियों से कहा कि यदि यह सुरक्षा कार्य नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में भूमि कटाव तेज हो जाएगा और कई गांव संकट में पड़ जाएंगे। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि वे परियोजना के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उनकी खेती और गांवों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि ड्रेनेज कार्य शुरू होने से पहले बांधनुमा सुरक्षा दीवार और बोल्डर पीचिंग कराई जाए, ताकि गंगा के कटाव से उनकी जमीन सुरक्षित रहे। गंगा पुनर्जीवन परियोजना भारत सरकार के अंतरराज्यीय जल प्राधिकरण की ओर से संचालित है। इसमें नाथनगर की रत्तीपुर-बैरिया पंचायत में ड्रेनेज निर्माण भी शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गंगा के जलस्तर को स्थिर रखना, शहरों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना और जमुनिया जैसी छोटी नदियों में सालभर पानी बनाए रखना है। प्रशासन का कहना है कि इस पहल से क्षेत्र में भविष्य के जल संकट को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। बीडीओ बोले- निरीक्षण के बाद विभाग को बोल्डर पीचिंग का प्रस्ताव भेजा निरीक्षण के बाद एसडीओ विकास कुमार ने बताया कि किसानों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभाग को बोल्डर पीचिंग का प्रस्ताव भेज दिया गया है। वहीं विधायक मिथुन कुमार यादव ने आश्वासन दिया कि किसान हित में वे सचिव और अन्य वरीय अधिकारियों से पटना में मिलकर समाधान निकालेंगे, ताकि ड्रेनेज परियोजना भी जारी रहे और किसानों की जमीनें भी कटाव से सुरक्षित रह सकें।


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