उत्तराखंड में कई दूरस्थ गांव आज भी ऐसे हैं जहां अभी तक सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। सड़क ना पहुंच पाने से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अल्मोड़ा से एक मिनट 18 सेकेंड का ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें ग्रामीण एक बीमार महिला को डोली पर बैठाकर कच्चे और संकरे पहाड़ी रास्तों से सड़क तक लेकर जाते हुए नजर आ रहे हैं। डोली के पीछे चल रहा युवक पूरी घटना की वीडियो बना रहा है, साथ ही वो दावा कर रहा है कि ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए करीब 2 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है, ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब किसी मरीज को अस्पताल पहुंचाना हो। हालांकि सरकार लगातार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत पहाड़ों पर सड़कों का जाल बिछा रही है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो उत्तराखंड में पीएमजीएसवाई के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 814 किमी लंबी सड़कों का निर्माण किया गया है। जो की 2023-24 की तुलना में 206 किमी ज्यादा है। तस्वीरों के जरिए समझिए पूरा घटनाक्रम… 2 प्वाइंट्स में पढ़िए वीडियो में क्या दिख रहा…. अचानक बिगड़ी थी महिला की तबीयत
ग्रामीणों ने बताया कि एक महिला की अचानक तबीयत खराब हो गई। महिला की हालत गंभीर होने पर डोली में लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने मजबूर होकर महिला को डोली में बैठाकर 2 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया। जिसके बाद महिला को अस्पताल पहुंचाया गया। ग्रामीणों के अनुसार पैदल मार्ग संकरे, टूटे और फिसलन भरे हैं, जिससे मरीज को ले जाना जोखिमपूर्ण हो जाता है। महिला को ले जाने के दौरान रास्ता सकरा और फिसलन भरा है। गांव में चाहे कोई बीमार हो जाए या प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल जाना हो, सबको डोली के सहारे ही ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से क्षेत्र में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे भविष्य में बीमारों को इलाज तक पहुंचाने के लिए डोली का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। ग्रामीण बोले- कई बार उठा चुके मांग, नहीं ली गई सुध
इस पूरे मामले के बाद एक ग्रामीण ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सालों से वह प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन राज्य गठन के 25 साल बीतने के बाद भी अभी तक गांव तक सड़क नहीं पहुंची है। गांव से सड़क तक पहुंचने में ही करीब एक घंटा लग जाता है। इलाज नहीं मिलने से मरीज की हो जाती है मौत
जिसके कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सड़क के अभाव में न केवल बीमारों को, बल्कि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को भी आवाजाही में जोखिम उठाना पड़ता है। अस्पताल तक पहुंचाने में कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है। बरसात के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
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