भास्कर न्यूज| पूर्णिया लोकसभा में सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने निजी स्वास्थ्य व्यवस्था में डॉक्टरों और निजी अस्पतालों की मनमानी पर सवाल खड़े करते हुए उनकी अकाउंटेबिलिटी तय करने की मांग की। वहीं,मनरेगा के खिलाफ लाए जा रहे बिल को गरीबों और पंचायती राज व्यवस्था पर सीधा हमला बताया। सांसद ने कहा-अगर समय रहते इन मुद्दों पर ठोस कानून और जवाबदेही तय नहीं की गई तो इसका सबसे बड़ा नुकसान गरीब, मजदूर और ग्रामीण समाज को होगा। कहा-मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया मेडिकल एजुकेशन और प्रैक्टिस को रेगुलेट करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने वन नेशन वन हेल्थ और वन नेशन, वन एजुकेशन की अवधारणा का उल्लेख करते हुए कहा कि जर्मनी और अन्य विकसित देशों में स्वास्थ्य और शिक्षा पूरी तरह सरकार द्वारा प्रायोजित होती है, जबकि भारत में इन्हें कॉर्पोरेट्स के हवाले किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 60,500 से अधिक सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। योग्य शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है और आईआईटी-आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को भी निजी हाथों में देने की कोशिश की जा रही है। पप्पू यादव ने कहा कि निजी अस्पतालों में मरीजों से मनमानी वसूली हो रही है। जांच के नाम पर अनाप-शनाप शुल्क व मृत मरीजों को भी आईसीयू में भर्ती दिखाकर पैसे वसूले जाते हैं। डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली जांच और दवाओं पर कोई निगरानी नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार 71 कानूनों के संशोधन में डॉक्टरों और निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए कोई ठोस कानून बनाएगी? मनरेगा को लेकर लाए जा रहे नए बिल पर सांसद ने कहा कि यह सीधे तौर पर गरीबों, मजदूरों और पंचायती राज व्यवस्था के खिलाफ है। मनरेगा में एमपी एमएलए की भूमिका को अनिवार्य किया जाए उन्होंने आरोप लगाया कि गांवों में अब चुने हुए प्रतिनिधियों की जगह पदाधिकारियों का शासन स्थापित किया जा रहा है। सांसद ने मांग की कि मनरेगा में पंचायती राज व्यवस्था और ब्लॉक सिस्टम को अलग न किया जाए और एमपी-एमएलए की भूमिका को इसमें अनिवार्य किया जाए,ताकि कोई अधिकारी गरीबों के अधिकार न छीन सके। पहले मनरेगा के तहत 15 दिनों के भीतर भुगतान का प्रावधान था,लेकिन अब हालात यह है कि जॉब कार्ड तक नहीं बन पा रहे हैं। सांसद पप्पू यादव ने सरकार से आग्रह किया कि मजदूरों के अधिकार न छीने जाएं,समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए और भुगतान में देरी करने वालों की जवाबदेही तय की जाए।
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