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डीएम का आदेश बेअसर, गाद निकाला पर नहीं हो सकी जल निकासी, मछुआरों ने रोका मुहाना

भास्कर न्यूज | खगड़िया खगड़िया और अलौली प्रखंड के सैकड़ों किसान तीन महीने से जलजमाव की समस्या से परेशान हैं। इनके खेत डूबे हुए हैं। अब रबी फसल का समय भी खत्म हो रहा है। लेकिन इनके समस्या का समाधान नहीं हो सका है। मछुआरों की मनमानी ने किसानों की खेती चौपट कर दी है। हद तो यह कि प्रभावित इलाके का डीएम और विधायक भी दौरा कर चुके हैं। डीएम ने तत्क्षण वहां मौजूद अधिकारियों को जल निकासी का निर्देश भी दिया। पोकलेन मशीन से जलनिकासी के लिए गाद भी निकलवाई गई। लेकिन मछुआरों ने मछली मारने के लिए मुहाने को ही जाम कर दिया। नतीजतन खेतों से पानी नहीं निकल सका। अब किसान खेती के लिए माथा पीट रहे हैं। सदर प्रखंड के इटवा स्लुइस गेट से जल निकासी की समस्या गाद निकालने के बावजूद दूर नहीं हो सकी है। दो बार जिलाधिकारी इस समस्या को दूर करने के लिए इटवा स्लुइस गेट का दौरा कर चुके हैं और संबंधित विभाग के अधिकारियों को लगातार जल निकासी के निर्देश दिए गए, लेकिन काम सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहा। पहली बार जिलाधिकारी नवीन कुमार के निरीक्षण के बाद नहर की गाद निकालने और बाढ़ नियंत्रण विभाग को स्थायी नहर निर्माण का निर्देश दिया गया था। साथ ही सोनमनकी बांध पर दो नए स्लुइस गेट बनाने तथा इटवा स्लुइस गेट के जीर्णोद्धार के लिए स्थल सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने की बात कही गई थी। इसके लिए टीम गठित की गई, लेकिन नहर से गाद पूरी तरह नहीं निकाली जा सकी। 10 दिसंबर को प्रकाशित खबर । डीएम नवीन कुमार के निरीक्षण के 20 दिन बाद डीडीसी अभिषेक पलासिया और सदर विधायक बबलू मंडल ने फिर इटवा स्लुइस गेट का निरीक्षण किया। इसके तीन दिन बाद पोकलेन मशीन से गाद निकालकर नहर को चौड़ा तो कर दिया गया, लेकिन मुहाने पर मछुआरों द्वारा बांस-बल्ला से घेरकर लगाया गया जाल नहीं हटने से जल निकासी नहीं हो पाई। नहर की चौड़ाई 20 से 25 फीट हो गई, लेकिन मुहाना मात्र डेढ़ फीट का रह गया। नतीजतन, दोनों प्रखंडों के हजारों एकड़ खेतों में आज भी पानी जमा है। जलजमाव से जिले के सदर प्रखंड के मुसना, बछौता, उत्तर माड़र, भदास, धूसमुरी-बिसनपुर बहियार, अलौली प्रखंड के चातर, कामाथान तथा परबत्ता प्रखंड के सर्किल नंबर-एक क्षेत्र के कोयला, भिमरी करुआ, देवठा बीरवास और पैंकांत बहियार के 15 हजार एकड़ से अधिक खेत प्रभावित हैं। मछुआरों ने जाल पर प्लास्टिक लगाकर पानी की निकासी पूरी तरह रोक दी है, जिससे खेतों में दो से तीन फीट पानी जमा है। मक्का, सरसों, मसूर और मटर की बुआई का समय निकल चुका है। गेहूं की बुआई का सर्वोत्तम समय भी खत्म होने की कगार पर है। दिसंबर का अंतिम सप्ताह चल रहा है, अगर पानी नहीं निकला तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। नहर की चौड़ाई बढ़कर 25 फीट तो मुहाना मात्र डेढ़ फीट रह गया एसडीओ लेंगे जायजा ^सदर एसडीओ को वर्तमान स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया है। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। नवीन कुमार, डीएम ।


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