टूट गई बांकी बिहारी मंदिर की 150 साल पुरानी परंपरा, कमेटी ने किया ऐसा फैसला; नाराज हो गए मथुरावासी
विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में परंपराओं का टूटना लगातार दिखाई दे रहा है. एक तरफ ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में परंपराओं को जीवित रखने के लिए कई कार्य किया जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ परंपराओं को तोड़ने का भी काम लगातार देखने को मिल रहा है. अब एक बार फिर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में परंपरा टूटी है. यह परंपरा लगभग 150 वर्ष पुरानी है.
विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं लेकिन ब्रज में सबसे अधिक और विशेष महत्व कार्तिक मास को दिया जाता है. क्योंकि इस कार्तिक मास को भगवान का सबसे अधिक पूजा पाठ वाला मास माना जाता है. इस मास में कई मंदिरों में मंगल आरती भी की जाती है जो कि साल में एक माह ही होती है. लेकिन ऐसे में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर पर सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा टूट गई है, जिसका आरोप ठाकुर बांके बिहारी हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी पर लगाया गया है.
सैकड़ों साल पुरानी परंपरा
कार्तिक मास में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के अंदर-बाहर से आने वाले श्रद्धालु या स्थानीय भक्त या फिर गोस्वामी समाज से जुड़े महिला और पुरुष शाम के वक्त मंदिर के अंदर दीपदान किया करते थे. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में दीप जला करते थे, लेकिन इस बार हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी द्वारा इस दीपदान पर एक नया आदेश दिया गया है. आदेश में कहा गया कि मंदिर के अंदर सिर्फ और सिर्फ सात दिए जलाए जाएंगे. मतलब की सात दीपकों का दीपदान होगा. अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन आते हो और सैकड़ों की तादाद में दीपदान होता हो, ऐसे में सात दीपक जोड़ान कहां तक उचित है.
परंपराओं को लगातार तोड़ने की कोशिश
वहीं जब इस बारे में मंदिर सेवायत हिमांशु गोस्वामी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मंदिर परंपराओं को लगातार तोड़ने का प्रयास हो रहा. इस आरोप उन्होंने हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी पर लगाया. वर्षों पुरानी परंपरा को एक बार फिर से तोड़ दिया गया है जो की मंदिर के अंदर दिये कार्तिक मास में जोड़े जाते थे. वह अब मंदिर में भी ना जोड़कर मंदिर के पीछे की तरफ जोड़े जा रहे हैं. सिर्फ सात दिए जोड़े गए हैं जो की बिल्कुल गलत है.
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