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टीचर का बेटा पेपर माफिया-सिपाही भर्ती लीक कराने वाला था:राहुल-तेजस्वी की यात्रा में घूमता रहा, निर्दलीय चुनाव भी लड़ा पुलिस को भनक तक नहीं लगी

आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने बुधवार को पटना से परीक्षा माफिया संजय प्रभात को गिरफ्तार किया। वह बिहार पुलिस चालक परीक्षा में धांधली करने में जुटा था। हैरानी की बात ये है कि बिहार के सबसे बड़े परीक्षा माफिया संजीव मुखिया ने महीनों पहले इसकी सुराग दी थी। 21 महीने से बिहार पुलिस समेत 6 राज्यों की पुलिस इसे तलाश रही थी। इस बीच वह पटना से मात्र 110 किलोमीटर दूर बरबीघा से चुनाव लड़ रहा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव की यात्रा में शामिल हो रहा था। भास्कर की खास रिपोर्ट में जानिए, कैसे शेखोपुर का एक लड़का परीक्षा माफिया बना… पहले देखिए ये तीन तस्वीरें… अब संजय प्रभात को जानिए संजय प्रभात के पिता रामलखन यादव पेशे से टीचर हैं। इसी के सहारे इन्होंने अपने 4 बच्चों का भरण पोषण किया। संजय ने इंटर तक की पढ़ाई गांव में की। इसके बाद पटना आ गया। वह यदा-कदा ही गांव जाता था। दो भाई अपने पिता के साथ गांव में रहकर खेती-किसानी करते हैं। इनके तीसरे नंबर के भाई डॉक्टर हैं। शेखपुरा में ही रहते हैं और प्रैक्टिस करते हैं। घर तक पहुंचा देता था प्रतियोगी परीक्षा का पेपर प्रतियोगी परीक्षा में संजय प्रभात की पैठ का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह परीक्षा की कॉपी सीधे प्रतिभागी के घर पहुंचा देता था। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक प्रतिभागी (जिसने इसे परीक्षा में पास कराने के लिए पैसे दिए थे) ने बताया, ‘5 साल पहले की बात है। रेलवे की एक परीक्षा पास कराने के लिए संजय प्रभात के साथ डील हुई थी। इसने पैसा लेने के बाद परीक्षा वाले दिन परीक्षा की कॉपी घर पहुंचा दी थी। मैंने घर में बैठकर तसल्ली से पेपर दिया था। जो पेपर घर में दिया वही सेंटर पर जमा हुआ था, लेकिन किसी कारणवश मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था। इसके बाद संजय प्रभात ने सारे पैसे लौटा दिए थे।’ पहले राजद में रहा, फिर कांग्रेस का एक्टिव मेंबर था संजय प्रभात ने 2004 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। सबसे पहले वह राजद में शामिल हुआ। राजद के कार्यकर्ता के रूप में नवादा में अपने लिए बेस तैयार किया। लगभग 20 साल राजद की राजनीति करने के बाद कांग्रेस में शामिल हुआ था। अभी यह कांग्रेस के लिए शेखपुरा जिले में काम कर रहा था। कांग्रेस से ही बरबीघा से टिकट चाहता था। इसके लिए अलग-अलग नेताओं के साथ लॉबिंग की थी। कांग्रेस ने आखिरी समय में टिकट त्रिशूलधारी सिंह को दे दिया था। राजनीति के लिए नवादा और अपराध के लिए पटना को बनाया बेस संजय प्रभात के घर के पास रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि संजय प्रभात क्या करता है? गांव में किसी को नहीं पता। आज तक गांव में किसी को इसने मेडिकल या किसी अन्य परीक्षा में पास नहीं कराया। न ही इसने राजनीति की शुरुआत शेखपुरा से की। परीक्षा की सेटिंग के लिए पटना को बेस बनाया तो राजनीति की शुरुआत नवादा से की। नवादा को अपना बेस बनाकर इसने वहां से चुनाव लड़ा। नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में संजय कुमार प्रभात नवादा के गोविंदपुर से राजद से लड़ा था। यहां इसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि दूसरे नंबर पर रहा। उसे 26,583 वोट (30%) मिले थे। इसके बाद 2010 और 2015 का चुनाव भी यहां से लड़ना चाहा, लेकिन टिकट नहीं मिली तो वापस पटना लौट गया। शेखपुरा में तैयार कर रहा था राजनीतिक जमीन नवादा में मिली हार के बाद संजय प्रभात अब शेखपुरा जिले का रुख कर लिया था। चुनाव से दो महीने पहले अपनी जमीन तैयार की। महागठबंधन की किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद बरबीघा से निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसे 1446 वोट मिले थे। गांव में 4 बीघा जमीन, खुद 14 करोड़ का मालिक ग्रामीणों की मानें तो संजय प्रभात के पास पैतृक संपत्ति के तौर पर 3-4 बीघा जमीन है। इनका परिवार एक मिडिल क्लास फैमिली है। 2025 के विधानसभा चुनाव में दिए गए शपथ पत्र में इसने खुद को व्यापारी बताया है। इसकी पत्नी के नाम पर 14 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है। पेपर लीक कर चुनाव लड़ने के लिए कमाता था पैसा EOU की शुरुआती पूछताछ में उसने बताया है कि उसका सपना विधायक बनने का है। वह अपने जीवन में एक बार विधायक बनना चाहता था। उसने कहा है कि चुनाव लड़ने के लिए बहुत पैसा खर्च होता है। इतना पैसा सिर्फ पेपर लीक से ही कमाया जा सकता है। इसीलिए यह काम करता था। 4 राज्यों की पुलिस ने EOU से संपर्क किया, रिमांड पर लेने की तैयारी फिलहाल EOU ने संजय को जेल भेज दिया है। अब उसे रिमांड पर लेने की तैयारी है। इसके लिए EOU ने स्पेशल कोर्ट में अर्जी भी दायर की है। रिमांड पर लेकर इससे अलग-अलग मामले में पूछताछ करना चाहती है। इसकी गिरफ्तारी की सूचना के बाद दिल्ली पुलिस, MP पुलिस, उत्तराखंड पुलिस और तेलंगाना पुलिस ने भी EOU से संपर्क किया है। वे भी पूछताछ करना चाहती हैं। अवैध खनन का भी आरोप, अलग-अलग नाम से लोगों से मिलता था संजय के तार केवल परीक्षा में पेपर लीक से ही नहीं जुड़ रहे हैं। इसका कनेक्शन अवैध खनन नेटवर्क से भी जुड़ रहा है। EOU की मानें तो संजय नवादा के एक बड़े बाहुबली के साथ मिलकर अवैध खनन का भी धंधा करता था। संजय अपनी पहचान बदल-बदलकर लोगों से मिलता था। इतना ही नहीं, अपने गैंग के लोगों को भी इसने अपना अलग-अलग नाम बता रखा था। गिरफ्तारी के दौरान इसके पास से EOU की टीम को दो मोबाइल फोन मिले। पुलिस अब इसका CDR खंगाल रही है। हैदराबाद- नैनीताल में गिरफ्तार हुआ था संजय 2016 में 25/07/2016 को हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना स्टेट बहाली से जुड़े परीक्षा में धांधली करने के मामले में FIR (18/2016) दर्ज किया था। 25/07/2016 को हैदराबाद पुलिस की CID बिंग ने पेपर लीक मामले में संजय के साथ 70 लोगों को गिरफ्तार किया था। 2016 में संजय को उत्तराखंड पुलिस ने नैनीताल के रामनगर थाना क्षेत्र के एक गेस्ट हाउस से मेडिकल के बच्चों को मेडिकल इंट्रेंस परीक्षा AIPMT का पेपर रटवाते वक्त गिरफ्तार किया था।


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