झांसी के रहने वाले इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के उप सेनानायक अनूप श्रीवास्तव की शहादत के 34 साल बाद उन्हें शहीद का दर्जा मिला है। यह सम्मान उनकी मां को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया है। अनूप के भाई डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि उनके बड़े भाई देश सेवा में ड्यूटी के दौरान हिमाचल में हिम स्खलन की चपेट में आने के बाद शहीद हो गए थे। सीपरी बाजार के ब्रह्मनगर कॉलोनी में रहने वाले डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि 34 साल पहले 20 सितंबर 1991 को उनके बड़े भाई आईटीबीपी के उप सेनानायक अनूप श्रीवास्तव हिमाचल प्रदेश के नामगिया में तैनात थे। यहां वह गश्त की ड्यूटी कर रहे थे। इसी दौरान हिम स्खलन शुरू हो गया। उनके साथियों ने बताया कि अनूप भारी हिम स्खलन में फंसने के बाद भी वहां से निकलने की कोशिश करते रहे लेकिन, निकल नहीं पाए। साथियों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया लेकिन, तबतक उनकी मौत हो गई। आइटीबीपी ने उन्हें पूरे सम्मान के साथ विदा किया। हालांकि, उस समय उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिल सका था। 34 साल बाद अब दिल्ली में शुक्रवार को राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्हें व उनकी मां को आमंत्रित किया गया। इसके बाद औपचारिक रूप से अनूप श्रीवास्तव को आईटीबीपी के महानिदेशक प्रवीण कुमार ने शहीद का दर्जा मिलने की घोषणा करते हुए मां और भाई को सम्मानित किया। डॉ. गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि ये परिवार के साथ ही पूरे झांसी के लिए गर्व का पल है। जब भाई अनूप श्रीवास्तव को शहीद का दर्जा दिया गया है।
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