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ज्यादा पाने की चाहत में डूबी मुकेश सहनी की नाव:18 की उम्र में मुंबई भागे, फिल्म देवदास से बदली किस्मत, अब क्या करेंगे सन ऑफ मल्लाह

खुद को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले मुकेश सहनी 15 सीटों पर चुनाव लड़े, सभी हार गए। बिहार की आबादी में मल्लाह जाति की हिस्सेदारी 2.6% है। मुकेश को 1.37% वोट मिले। चुनावी नतीजे के बाद कहा जा रहा है कि ज्यादा पाने की चाहत में उनकी नाव (VIP की चुनाव चिह्न) डूब गई। मुकेश 60 सीटें और डिप्टी सीएम फेस बनाए जाने की मांग कर रहे थे। 15 पर लड़े, लेकिन 1 भी जीत न पाए। भास्कर की खास रिपोर्ट में जानें 8वीं तक पढ़े मुकेश सहनी क्यों घर छोड़कर मुंबई भागे? फिल्मी नगरी में उनकी किस्मत कैसे चमकी? अब उनके पास आगे क्या विकल्प हैं? मुकेश सहनी ने 27 बार की डिप्टी सीएम पद के लिए दावेदारी मुकेश सहनी महागठबंधन में सीट बंटवारे के समय अपनी पार्टी VIP के लिए 60 सीटें मांग रहे थे। हालांकि, डिप्टी सीएम फेस घोषित किए जाने के बाद 15 सीटों पर मान गए। महागठबंधन की सरकार बनने पर डिप्टी सीएम बनाया जाए इसको लेकर मुकेश सहनी ने 27 बार दावेदारी पेश की। मुकेश सहनी ने 8वीं तक की पढ़ाई, घर छोड़ भागे मुंबई मुकेश दरभंगा के सुपौल के रहने वाले हैं। 8वीं तक पढ़ाई की है। कमाने के लिए घर वालों ने ताना मारा तो 1999 में घर छोड़कर मुंबई भागे और अपने मोहल्ले के पवन साहू के पास पहुंचे। तब उम्र 18 साल थी। कॉस्मेटिक की दुकान में 900 रुपए वेतन पर किया काम पवन साहू बताते हैं कि मुकेश अपने बचपन के दोस्त धुरन सहनी के साथ भागकर उनके पास पहुंचे थे। शुरुआत में एक कॉस्मेटिक की दुकान में 900 रुपए महीने वेतन पर काम किया। कुछ दिन बाद दुकान छोड़कर सड़क किनारे बैग बेचने लगे। कुछ खास मुनाफा नहीं हुआ तो वापस फिर से उसी कॉस्मेटिक की दुकान में काम करने लगे। कॉस्मेटिक दुकान के ठीक बगल में एक दुकान थी। इसमें कांच का फ्रेम बनाया जाता था। यहां के लोग फिल्मों के लिए सेट भी बनाते थे। कांच की दुकान में कारीगर नहीं थे, मुकेश सहनी को मिला मौका पवन ने बताया कि एक दिन कांच की दुकान में कारीगर नहीं थे। फिल्म बनाने वाले कुछ लोग पहुंचे। वे कांच के कारीगर ढूंढ रहे थे। उसी दौरान मुकेश के दुकान मालिक ने उन्हें फिल्म शूटिंग के लिए कांच का काम देखने भेज दिया। यह काम मुकेश को भा गया। उन्होंने कहा कि मुकेश धीरे-धीरे कांच से फ्रेमिंग करने और फिल्मों में सेट सजाने वाला काम करने लगे। इसी दौरान लोगों से संपर्क बढ़ा। कुछ समय बाद मुकेश ने अपनी ‘Mukesh Film Works Pvt Ltd’ नाम की कंपनी शुरू की। वह टीवी-सीरियल, फिल्मों, विज्ञापनों और इवेंट के लिए सेट बनाने के ठेके लेने लगे। मुकेश सहनी ने बनाया था फिल्म देवदास के लिए सेट मुकेश के करीबी लोगों ने बताया कि पहले उन्हें फिल्म के सेटों पर छोटा-मोटा काम मिला। इसके बाद शाहरुख खान की फिल्म देवदास के लिए शीशा का सेट बनाने का काम मिला। इससे उनकी किस्मत पलटी। धीरे-धीरे उनका काम बढ़ने लगा। उन्हें महल और शीशे से खूबसूरत सेट बनाने के काम मिले। इससे अच्छी आमदनी हुई। कैसे राजनीति में आए मुकेश सहनी? 2014-15 में मुकेश सहनी सुपौल लौटे तो गांव की हालत वैसी ही पाई। बाढ़ की परेशानी, गरीबी, कुछ नहीं बदला था। इसके बाद सुपौल और आसपास के स्थानीय नेताओं से मिलने लगे। इसी से उनमें राजनीति में आने की इच्छा जगी। सुपौल के कृष्ण कुमार सानु ने कहा, ‘जब मुकेश के पास पैसे हो गए तब वह गांव आने लगे। अक्सर समाज कल्याण की बातें करते। छठ पूजा में रोशनी की व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराते। इनमें भोजपुरी और बॉलीवुड के कलाकार आते थे।’ 2015 में मुकेश सहनी ने की निषाद विकास संघ की स्थापना मुकेश ने सहनी समाज को आगे बढ़ाने की बात की। मल्लाहों को आरक्षण देने की मांग की। 2015 में निषाद विकास संघ की स्थापना की। उन्होंने 2014 में दरभंगा के राज मैदान में निषाद समाज सम्मेलन आयोजित किया। इसमें हजारों लोग जुटे। मुकेश सहनी को मल्लाह पुत्र नाम से बुलाया गया। उसके बाद मुकेश सहनी ने ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से न्यूज पेपर में विज्ञापन छपवा दी। धीरे-धीरे मुकेश ने खुद को मल्लाह समाज के नेता के रूप में पेश किया। 2015 में मुकेश सहनी ने BJP के लिए पूरे बिहार में प्रचार किया। हालांकि आरक्षण व दूसरे मुद्दों पर टकराव के बाद 4 नवंबर 2018 को अपनी पार्टी ‘VIP’ के नाम से रजिस्ट्रेशन कराई। विधानसभा चुनाव 2020 में मुकेश सहनी को मिलीं थी 4 सीटें 2019 के लोकसभा चुनाव में VIP महागठबंधन के साथ रहते हुए 3 सीटों (मधुबनी, मुजफ्फरपुर और खगड़िया) से चुनाव लड़ी, तीनों जगह हार गई। इसके बाद मुकेश RJD के साथ 2020 का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन 25 सीटों की मांग पूरी नहीं होने पर एनडीए से जा मिले। एनडीए में उन्हें 11 सीटें मिली। VIP ने 4 सीटें जीतीं। बोचहा से मुसाफिर पासवान, गौड़ा बौराम से स्वर्णा सिंह, साहेबगंज से राजू कुमार सिंह और अलीनगर से मिश्री लाल यादव विधायक बने। उस समय महागठबंधन से डिप्टी सीएम का ऑफर मिला, लेकिन मुकेश ने ठुकरा दिया। वह खुद सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2020 में नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बनाया। मत्सय एवं पशुपालन मंत्रालय मिला। भाजपा के साथ संबंध बिगड़े तो उनके 4 में से 3 विधायक (स्वर्णा सिंह, राजू कुमार सिंह और मिश्री लाल) भाजपा में चले गए। मुसाफिर पासवान के निधन पर बोचहा उपचुनाव राजद ने जीता। वीआईपी बिना विधायक के रह गई। बाद में कैबिनेट से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। लोकसभा चुनाव 2024: 3 सीट से लड़े, सभी जगह हारे मुकेश सहनी 2022-23 के बीच फिर महागठबंधन के करीब आ गए। लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन के साथ रहते हुए पूर्वी चंपारण, झंझारपुर और गोपालगंज तीन सीटों पर VIP के प्रत्याशी उतारे, लेकिन तीनों जगह हार गए। विधानसभा चुनाव 2025 में मुकेश सहनी ने मांगी 60 सीटें, एक भी नहीं जीत सके विधानसभा चुनाव 2025 में मुकेश सहनी ने महागठबंधन से 60 सीटें और डिप्टी सीएम पद की मांग की। बाद में सीटों पर लचीले होते रहे पर डिप्टी सीएम की दावेदारी से पीछे नहीं हटे। 3 जुलाई, 30 जुलाई, 7 अगस्त, 10 अगस्त, 5 सितंबर, 13 सितंबर, 6 अक्टूबर जैसी कई तारीखों को सार्वजनिक मंचों और प्रेस के सामने बार-बार डिप्टी सीएम बनाए जाने की मांग की। इससे RJD और कांग्रेस के सीनियर नेताओं, खासकर अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे नेताओं में नाराजगी बढ़ी। राहुल गांधी-तेजस्वी यादव के बीच बातचीत के बाद उन्हें 15 सीटें दी गईं और महागठबंधन ने आधिकारिक तौर पर उन्हें डिप्टी सीएम फेस घोषित किया। चुनाव में मुकेश कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। सभी 15 सीटों पर उनकी पार्टी हार गई। अब आगे क्या कर सकते हैं मुकेश सहनी? हमने मुकेश सहनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रियदर्शी रंजन ने कहा, ‘जिस निषाद जाति की राजनीति मुकेश सहनी कर रहे हैं, वह कहीं न कहीं एनडीए के साथ थी। मुकेश सहनी ने अपने समाज की विचारधारा के खिलाफ जाकर गठबंधन किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि महागठबंधन में उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाना था।’


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