बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नीतीश सरकार ने बिजली मुफ्त (125 यूनिट तक) की, जीविका दीदियों को 10-10 हजार रुपए दिए। अब 2-2 लाख रुपए देने हैं। सरकार ने मुफ्त की योजनाओं के लिए पैसा जुटाने का खास प्लान बनाया है। सरकार के नए प्लान के मुताबिक, बिजली, जमीन खरीदना, घर बनाना तक महंगा हो सकता है। नए साल से सरकार सर्किल रेट दोगुना करने जा रही है। अवैध खनन पर सख्ती की जा रह है, जिससे बालू की कीमत बढ़ सकती है। मंडे स्पेशल रिपोर्ट में जानें सरकार के पैसा जुटाने का खास प्लान। जमीन खरीदना और घर बनाना क्यों महंगा होने वाला है? सबसे पहले, सरकार को क्यों चाहिए पैसे? सरकार ने शीतकालीन सत्र में 91 हजार 717 करोड़ रुपए का सप्लीमेंट्री बजट पास कराया। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के लिए 21 हजार करोड़ रुपए, 125 यूनिट फ्री बिजली के लिए 6462 करोड़ रुपए और बुजुर्गों को पेंशन देने के लिए 1885.65 करोड़ रुपए रखे। महिलाओं काे स्वरोजगार के लिए 2-2 लाख रुपए देने हैं। गयाजी, भागलपुर, दरभंगा और सहरसा में एयरपोर्ट बनाने पर 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसी तरह बच्चों की पढ़ाई के लिए 4,196.89 करोड़ रुपए और दूसरी योजनाओं के लिए पैसे चाहिए। इन जरूरतों को पूरी करने के लिए सरकार कमाई बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। अब सरकार के पैसा जुटाने का खास 4 प्लान जानें… प्लान-1ः 35 पैसे प्रति यूनिट महंगी हो सकती है बिजली 125 यूनिट बिजली फ्री करने से बिहार के 1.89 करोड़ परिवारों को लाभ मिल रहा है। सरकार हर माह करीब 2.36 अरब यूनिट बिजली की सब्सिडी दे रही है। अब बिजली कंपनियों ने बिहार में घरेलू, किसान और उद्योगों सहित सभी तरह की श्रेणी की बिजली की दर 35 पैसे प्रति यूनिट महंगा करने का प्रस्ताव भेजा है। इस पर बिहार विद्युत विनियामक आयोग 6 जनवरी से जनसुनवाई करेगी और फैसला लेगी। सुनवाई में आमलोग भी अपनी राय दे सकते हैं। बिजली कंपनियों ने दिया ये प्रस्ताव घरेलू बिजली- घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर 7.42 रुपए से बढ़ाकर 7.77 रुपए प्रति यूनिट किया जाए। 100 यूनिट से ज्यादा खपत पर 1.18 रुपए प्रति यूनिट की छूट का भी प्रस्ताव दिया गया है। इस समय सब्सिडी के बाद ग्रामीण इलाके में 2.45 रुपए प्रति यूनिट और शहरी इलाके में 5.52 रुपए प्रति यूनिट है। किसानों के लिए बिजली- सिंचाई के लिए दी जानी वाली बिजली 6.74 रुपए प्रति यूनिट से बढ़ाकर 7.09 प्रति यूनिट की जाए। सब्सिडी के बाद 55 पैसे प्रति यूनिट देना होता है। उद्योग और व्यवसाय के लिए बिजली- छोटे उद्योगों के लिए बिजली की दरें 7.79 रुपए प्रति यूनिट से बढ़ाकर 8.14 रुपए प्रति यूनिट की जाए। अन्य औद्योगिक/व्यावसायिक उपयोगों के लिए भी बिजली महंगी करने का प्रस्ताव दिया गया है। पटना, बेगूसराय और गया में होगी जनसुनवाई बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर आयोग ने लोगों से राय मांगी है। 6 जनवरी, 12 जनवरी, 19 जनवरी और 5 फरवरी को पटना, बेगूसराय और गया में जन सुनवाई होगी। इसके बाद अंतिम फैसला होगा। साफ है कि बिजली कंपनियों के प्रस्ताव के बाद आयोग उसे मंजूरी देता है तो सभी के लिए बिजली महंगी होगी। इसमें कुछ छूट का भी प्रावधान रखा जा सकता है। आपकी जेब पर कितना असर पड़ेगा? बिहार में वर्तमान में घरेलू इस्तेमाल के लिए बिजली की दरें 1.97 रुपए प्रति यूनिट से लेकर 5.52 रुपए प्रति यूनिट है। BPL परिवार द्वारा अगर 125 यूनिट से अधिक बिजली खर्च की जाए तो उन्हें 125 यूनिट के बाद की बिजली पर 2.45 रुपए प्रति यूनिट की दर से पैसे देने होते हैं। गांव के लोग अगर 125 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करें तो 2.45 रुपए प्रति यूनिट पैसे देते हैं। शहर में रहने वाले लोग 125 यूनिट से अधिक खर्च करने पर 5.52 रुपए प्रति यूनिट पैसे देते हैं। अगर एक व्यक्ति गांव में रहता है। उसने 200 यूनिट बिजली एक महीने में खर्च की तो 75 यूनिट बिजली के पैसे देने होंगे। बिल 184 रुपए (75×2.45 रुपए) का आएगा। अगर बिजली की दर 35 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाती है तो बिल 210 रुपए आएगा। मतलब 26 रुपए ज्यादा। इसी तरह अगर एक व्यक्ति शहर में रहता है और एक महीने में 200 यूनिट बिजली खर्च करता है तो उसे 75 यूनिट के पैसे देने होते हैं। बिल 414 रुपए (75 x 5.52) आएगा। अगर बिजली की दर 35 पैसे प्रति यूनिट बढ़ा दी जाती है तो बिल 440 रुपए (75 x 5.87) का आएगा। मतलब 26 रुपए ज्यादा। इसके साथ ही एनर्जी चार्ज, फिक्स्ड चार्ज और दूसरे शुल्क ऊपर से देने होंगे। प्लान-2ः जमीन का सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी, खरीदना होगा महंगा रजिस्ट्रेशन विभाग ने 2024-25 में आमदनी के अपने लक्ष्य 7500 करोड़ रुपए को हासिल कर लिया है। अब सरकार की कोशिश जमीन की खरीद-बिक्री से और अधिक पैसे पाने की है। सरकार ने जमीन के रिकॉर्ड, खाता, खेसरा, जमाबंदी आदि सुधारने का अभियान तेज कर दिया है। सरकार चाहती है कि जमीन से संबंधित विवादों और गड़बड़ियों का समाधान तेजी से हो। जमीन का रजिस्ट्रेशन सरकार के लिए राजस्व का बड़ा जरिया है। अभी राज्य में जमीन का सर्वे चल रहा है। इसके बाद जमीन का रेट फिर से तय होगा। पहले चरण में 961 गांवों में सर्वे हो गया है। अंतिम अधिकार अभिलेख (जमीन के मालिकाना हक का रिकॉर्ड) प्रिंट किए जा चुके हैं। बाकी गांवों में तेजी से काम जारी है।कुछ दिन पहले विभागीय मंत्री व उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सभी जिलों में चल रहे जमीन सर्वे की समीक्षा की थी। उन्होंने कहा ‘प्रत्येक जिले में सबसे पीछे रहने वाली 10 पंचायतों की सूची तैयार कर विशेष निगरानी की जाएगी। सभी सही और वैध, लंबित दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस आवेदनों को मार्च तक निपटा दिया जाएगा।’ फेज वन में सितंबर 2020 से 20 जिलों के 89 अंचलों के 5657 मौजा और फेज टू में अगस्त 2024 से 18 जिलों के 448 अंचलों के 37384 मौजा में जमीन सर्वे की शुरुआत की गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार सर्वे तेजी से पूरा कर जनवरी 2026 से सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी है। बिहार में जमीन की रजिस्ट्री जनवरी से दो से तीन गुणा महंगी हो सकती है। 2013-16 के बाद से सर्किल रेट नहीं बढ़ा है। जमीन की कीमत काफी बढ़ गई है। सर्किल रेट बढ़ने से जमीन की रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी महंगी होगी। जमीन की है चार कैटेगरी: जमीन की 4 कैटेगरी (कॉमर्शियल, आवासीय, विकासशील और कृषि) है। इसमें कॉमर्शियल जमीन सबसे महंगी होती है। यहां व्यावसायिक काम किए जा सकते हैं। इसके बाद आवासीय, विकासशील और कृषि जमीन हैं। जमीन का सर्किल रेट क्या है, इसके बढ़ने से क्या होगा? आसान शब्दों में सर्किल रेट का मतलब है कि वह जमीन सरकार की नजर में कम से कम कितने की है। सर्किल रेट से कम कीमत में जमीन खरीदी-बेची नहीं जाती। सर्किल रेट से तय होता है कि संबंधित जमीन के बिकने से सरकार को कितने पैसे मिलेंगे। पटना के कातिब प्यारेलाल से भास्कर ने बात की। उन्होंने बताया कि पटना जैसे शहर में कृषि वाली जमीन काफी कम रह गई है। अभी पटना में सर्किल रेट जमीन की असल कीमत से आधी या उससे भी कम है। इससे सरकार को कम आमदनी होती है। सर्किल रेट बढ़ाने से आमदनी बढ़ेगी। प्यारेलाल ने कहा, ‘इसे ऐसे समझिए कि पटना के फुलवारी शरीफ के रानीपुर में एक कट्ठा जमीन का सर्किल रेट 18 लाख 75 हजार रुपए है। सरकार रेट दोगुनी करती है तो यह 37 लाख रुपए से ज्यादा हो जाएगी। इसके चलते खरीदार को कम से कम 37 लाख रुपए के आधार पर स्टाम्प फीस और रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी।’ सूत्र बताते हैं कि बाजार रेट के अनुसार सर्किल रेट बढ़ाने को लेकर निबंधन विभाग में बैठकों का दौर जारी है। बाजार रेट के अनुसार सर्किल रेट अपटेड किया जा रहा है। पटना से इसकी शुरुआत की जा सकती है। नया रेट जमीन किस इलाके में है, शहरी है या ग्रामीण, सड़क की चौड़ाई कैसी है, विकास का स्तर कैसा है, जमीन का कॉमर्शियल महत्व कितना है? इन बातों पर विचार करते हुए तय किया जा रहा है। सर्किल रेट बढ़ने से आपकी जेब पर क्या असर होगा? बिहार में पुरुषों के लिए स्टाम्प ड्यूटी दर 6.3% और महिलाओं के लिए 5.7% है। इसके साथ ही जमीन की कीमत के आधार पर रजिस्ट्रेशन शुल्क (2.1% पुरुषों के लिए और 1.9% महिलाओं के लिए) देना होता है। अगर एक व्यक्ति पटना के फुलवारी शरीफ के रानीपुर में एक कट्ठा जमीन खरीदता है तो उसे वर्तमान सर्किल रेट 18 लाख 75 हजार रुपए के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होगा। पुरुष खरीदार होने पर 1,18,125 रुपए स्टाम्प ड्यूटी और 39,375 रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क (दोनों को मिलाकर 1,57,500) देना होता है। अगर सर्किल रेट दोगुना किया गया तो स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क पर खर्च 3,15,000 रुपए और सर्किल रेट तीन गुना किए जाने पर खर्च 472500 रुपए होगा। प्लान-3ः उद्योग से रेवेन्यू बढ़ाने पर जोर राज्य सरकार इसी साल बिहार इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पैकेज 2025 लेकर आई। इसके जरिए उद्योगों को सुविधाएं , सब्सिडी, जमीन और टैक्स में राहत दिया जाना है। इस सबके जरिए सरकार ने 5 साल में 50 लाख करोड़ रुपए बिहार में निवेश कराने का लक्ष्य रखा है। राजस्व बढ़ाने के लिए लघु और मध्यम उद्योगों पर सरकार का अधिक फोकस है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत युवाओं और महिलाओं को 2 लाख रुपए का लोन और ट्रेनिंग दी जा रही है। बड़े उद्योगों के लिए दोगुनी सब्सिडी, ब्याज में राहत, मुफ्त में जमीन जैसे आकर्षक ऑफर दिए जा रहे हैं। राज्य में निवेश बढ़े और तेजी से उद्योग लगे तो सरकार की कमाई बढ़ेगी। प्लान-4ः खनन पर कड़ी नजर, रेवेन्यू बढ़ेगा, बालू महंगा होगा बिहार में खनन विभाग के जरिए रेवेन्यू बढ़ाने की बड़ी तैयारी है। सरकार ने चुनाव के तुरंत बाद अवैध खनन के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी है। अवैध खनन रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। अवैध खनन और इसमें लगे अवैध वाहनों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। ट्रक मालिकों पर लगेगा 8 लाख रुपए जुर्माना विभागीय सूत्रों के अनुसार अवैध खनन में लगे वाहनों के मालिकों पर भारी जुर्माना लगेगा। ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर एक लाख रुपए और ट्रकों पर 8 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों की मदद से अवैध खनन की निगरानी होगी। अवैध बालू खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई द्वारा विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। सरकार ने अवैध खनन की जानकारी देने वालों को 10 हजार रुपए नगद इनाम की योजना शुरू की गई है। बालू कारोबारियों को लाइसेंस के लिए 2 लाख रुपए तक का आवेदन शुल्क देना पड़ेगा। खनन में बालू की मात्रा को लेकर गड़बड़ी की वजह से राजस्व का नुकसान होता रहा है। अब धर्मकांटा और सीसीटीवी नेटवर्क को विभाग के पोर्टल से जोड़ना अनिवार्य किया गया है। स्थानीय थानों सहित ब्लॉक से जुड़े अफसरों की जिम्मेदारी बढ़ाई गई है। अवैध खनन होने पर अफसर नपेंगे। सख्ती बढ़ने की वजह से बालू की कीमत बढ़ सकती है। भास्कर ने बालू बेचने वाले दुकानदारों से बात की। वे कहते हैं कि जनवरी 2024 में 5 हजार में एक टेलर (ट्रैक्टर ट्रॉली) बालू बिकता था। अब कीमत 6 हजार रुपए प्रति टेलर तक बढ़ गई है। अगर सख्ती जारी रही तो बालू का रेट और बढ़ेगा। इससे आम लोगों के लिए घर बनाने का खर्च काफी बढ़ जाएगा। बालू की कीमत बढ़ी तो घर बनाना कितना महंगा होगा? बालू की कीमत बढ़ने का असर घर बनाने वाले एक आम आदमी पर कितना पड़ेगा? यह जानने के लिए हमने ठेकेदार भोला प्रसाद से बात की। भोला ने बताया कि 1000 स्क्वायर फीट का एक मंजिला घर बनाना हो तो करीब 20 टेलर बालू लगता है। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में बालू की कीमत 6 हजार रुपए प्रति टेलर है। अवैध खनन पर सख्ति बढ़ने से अगर प्रति टेलर 1 हजार रुपए भी कीमत बढ़ी तो छोटा घर बनाने में भी करीब 20 हजार रुपए अधिक खर्च करना पड़ेगा।’ मुफ्त की योजना लाने से पहले सरकार को पैसे जुटाने पर करना था काम बिहार सरकार द्वारा अपनी लोकलुभावन योजनाओं के लिए पैसे जुटाने के प्लान पर हमने अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी ने बात की। उन्होंने कहा, ‘सरकार एक हाथ से दे रही है, दूसरे हाथ से ले रही है। फिस्कल डेफिसिट 2.8% तक पहुंच गया है। मुफ्त की योजनाओं से अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा। सरकार को ऐसी योजनाएं लाने से पहले इसके लिए पैसे जुटाने पर काम करना चाहिए था।
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