लेख में आगे कहा गया है कि 2017 से, अनुमानित 800,000 से 20 लाख उइघुर लोगों को सामूहिक हिरासत केंद्रों में रखा गया है, जहां उन्हें जबरन राजनीतिक विचारधारा थोपने, शारीरिक शोषण, यौन हिंसा और व्यवस्थित सांस्कृतिक विलोपन का सामना करना पड़ता है.
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