जिस जंगी जहाज की वजह से 2 टुकड़ों में बंटा था पाकिस्तान, उसे अमेरिका ने बांग्लादेश में क्यों भेजा
बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर बुधवार को अमेरिका यूएसएस फिट्जगेराल्ड के पहुंचने की खबर है. मिसाइल विध्वंसक इस फिट्जगेराल्ड को आखिरी बार 1971 में पाकिस्तान और भारत की लड़ाई के वक्त बंगाल की खाड़ी में देखा गया था. उस वक्त अमेरिका ने इसे पाकिस्तान के लिए भेजा था.
द नॉर्थ ईस्ट पोस्ट के मुताबिक यूएसएस फिट्जरगोल्ड को चटगांव में बांग्लादेशी सैनिकों के साथ अभ्यास के लिए भेजा गया है. यह अभ्यास 3 दिनों तक चलेगा. यूएसएस का यह फिट्जरगोल्ड सैन डिएगो से चलकर चटगांव पहुंचा है.
बंगाल की खाड़ी में अलर्ट जारी
यूएसएस फिट्जरगोल्ड के सैन्य अभ्यास को लेकर बंगाल की खाड़ी में अलर्ट जारी किया गया है. सभी नाविकों को इस फिट्जरगोल्ड से दूर रहने के लिए कहा गया है. 154 मीटर लंबा और 20.2 मीटर चौड़ा यह फिट्जरगोल्ड 9,246 टन वजनी है. इस पर कुल 327 अधिकारी और नाविक सहित चालक दल के सदस्य सवार होंगे.
इस फिट्जरगोल्ड को तब भेजा गया है, जब रखाइन को लेकर बांग्लादेश के क्रॉक्स बाजार इलाके में तनाव का माहौल है. हाल ही में बांग्लादेश के सैनिकों ने अमेरिकी सील्स सैनिकों के साथ अभ्यास किया था.
अहम क्यों है फिट्जरगोल्ड की तैनाती
1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान जब भारत और पाकिस्तान में जंग छिड़ा, तब अमेरिका ने पाकिस्तान को बचाने के लिए 7वें बेड़े की तैनाती की. इधर रूस ने भी भारत के समर्थन में परमाणु पनडुब्बी की तैनाती कर दी. इस तैनाती से अमेरिका को झटका लग गया. आखिर में पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश का विभाजन हो गया.
ऐसे में अब अमेरिका ने 40 साल पुराने अपने इस फिट्जरगोल्ड को चटगांव में तैनात कर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.
बांग्लादेश में बढ़ रहा है US का दखल
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अमेरिका का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों की एक टीम ने हाल ही में क्रॉक्स बाजार का दौरा किया था. इन अधिकारियों ने चुनाव को लेकर मंथन किया था. अमेरिका की कोशिश बांग्लादेश में अपने सैनिकों की तैनाती भी करना है. इसको लेकर बातचीत चल रही है.
शेख हसीना बार-बार यह आरोप लगाती रही हैं कि उनके तख्तापलट के पीछे अमेरिका का सीधा हाथ था. अमेरिकी फंडिंग की वजह से ही उनकी सरकार गिर गई.
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